भारत का संविधान
अनुच्छेद २८८ :
जल या विद्युत के संबंध में राज्यों द्वारा कराधार से कुछ दशाओं से कुछ दशाओं में छुट ।
१) वहां तक के सिवाय जहां तक राष्ट्रपति आदेश द्वारा अन्यथा उपबंध करे, इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले किसी राज्य की कोई प्रवृत्त विधि किसी जल या विद्युत के संबंध में, जो किसी अंतरराज्यिक नदी या नदी-दून के विनियमन या विकास के लिए किसी विद्यमान विधि द्वारा या संसद् द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा स्थापित किसी प्राधिकारी द्वारा संचित , उत्पादित, उपभुक्त, वितरित या विक्रीत की जाती है, कोई कर अधिरोपित नहीं करेगी या कर का अधिरोपण प्राधिकृत नहीं करेगी ।
स्पष्टीकरण :
इस खंड में, किसी राज्य की कोई प्रवृत्त विधि पद के अंतर्गत किसी राज्य की ऐसी विधि होगी जो इस संविधान के प्रारंभ से पहले पारित या बनाई गई है और जो पहले ही निरसित नहीं कर दी गई है, चाहे वह या उसके कोई भाग उस समय बिल्कुल या विशिष्ट क्षेत्रों में प्रवर्तन में न हों ।
२) किसी राज्य का विधान- मंडल, विधि द्वारा, खंड (१) में वणिॅत कोई कर अधिरोपित कर सकेगा या ऐसे कर का अधिरोपण प्राधिकृत कर सकेगा, किन्तु ऐसी किसी विधि का तब तक कोई प्रभाव नहीं होगा जब तक उसे राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रखे जाने के पश्चात् उसकी अनुमति न मिल गई हो और यदि ऐसी कोई विधि ऐसे करों की दरों और अन्य प्रसंगतियों को किसी प्राधिकारी द्वारा, उस विधि के अधीन बनाए जाने वाले नियमों या आदेशों द्वारा, नियत किए जाने का उपबंध करती है तो वह विधि ऐसे किसी नियम या आदेश के बनाने के लिए राष्ट्रपति की पूर्व सहमति अभिप्राप्त किए जाने का उपबंध करेगी ।