भारत का संविधान
अनुच्छेद २६९ :
संघ द्वारा उद्गृहीत और संगृहीत किंतू राज्यों को साँपे जाने वाले कर ।
१.(१) २.(अनुच्छेद २६९क में यथा उपबंधित के सिवाय,) माल के क्रय या विक्रय पर कर और माल के परेषण पर कर, भारत सरकार द्वारा उद्गृहीत और संगृहीत किए जाएंगे किन्तु खंड (२) में उपबंधित रीति से राज्यों को १ अप्रैल १९९६ को या उसके पश्चात् साँप दिए जाएंगे या साँप दिए गए समझे जाएंगे ।
स्पष्टीकरण – इस खंड के प्रयोजनों के लिए –
क)माल के क्रय या विक्रय पर कर पद से समाचारपत्रों से भिन्न माल के क्रय या विक्रय पर उस दशा में कर अभिप्रेत है जिसमें ऐसा क्रय या विक्रय अंतरराज्यिक व्यापार या वाणिज्य के दौरान होता है ;
ख) माल के परेषण पर कर पद से माल के परेषण पर (चाहे परेषण उसके करने वाले व्यक्ति को या किसी अन्य व्यक्ति को किया गया हो ) उस दशा में कर अभिप्रेत है जिसमें ऐसा परेषण अंतरराज्यिक व्यापार या वाणिज्य के दौरान होता है ।
२) किसी वित्तीय वर्ष में किसी ऐसे कर के शुध्द आगम वहां तक के सिवाय, जहां तक वे आगम संघ राज्यक्षेत्रों से प्राप्त हुए आगम माने जा सकते हैं, भारत की संचित निधि के भाग नहीं होंगे, किंतु उन राज्यों को साँप दिए जाएंगे जिनके भीतर वह कर उस वर्ष में उद्ग्रहणीय हैं और वितरण के ऐसे सिध्दांतों के अनुसार, जो संसद् विधि द्वारा बनाए, उन राज्यों के बीच वितरित किए जाएंगे ।)
३.(३) संसद् , यह अवधारित करने के लिए कि ४.(माल का क्रय या विक्रय या परेषण) कब अंतरराज्यिक व्यापार या वाणिज्य के दौरान होता है, विधि द्वारा सिध्दांत बना सकेगी । )
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१.संविधान (अस्सीवां संशोधन ) अधिनियम, २००० की धारा २ द्वारा खंड (१) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. संविधान (एक सौ एकवां संशोधन) अधिनियम २०१६ की धारा ८ द्वारा (१६-९-२०१६ से) अन्त:स्थापित ।
३.संविधान (छठा संशोधन) अधिनियम, १९५६ की धारा ३ द्वारा अंत:स्थापित ।
४.संविधान (छियालीसवां संशोधन) अधिनियम, १९८२ की धारा २ द्वारा माल का क्रय या विक्रय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।