भारत का संविधान
अनुच्छेद २५७ :
कुछ दशाओं में राज्यों पर संघ का नियंत्रण ।
१) प्रत्येक राज्य की कार्यपालिका शक्ति का इस प्रकार प्रयोग किया जाएगा जिससे संघ की कार्यपालिका शक्ति के प्रयोग में कोई अडचन न हो या उस पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पडे और संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार किसी राज्य को ऐसे निदेश देने तक होगा जो भारत सरकार को इस प्रयोजन के लिए आवश्यक प्रतीत हों ।
२)संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार राज्य को ऐसे संचार साधनों के निर्माण और बनाए रखने के बारे में निदेश देने तक भी होगा जिनका राष्ट्रीय या सैनिक महत्त्व का होना उस निदेश में घोषित किया गया है :
परंतु इस खंड की कोई बात किसी राज मार्ग या जल मार्ग को राष्ट्रीय राज मार्ग या राष्ट्रीय जल मार्ग घोषित करने की संसद् की शक्ति को अथवा इस प्रकार घोषित राज मार्ग या जल मार्ग के बारे में संघ की शक्ति को अथवा सेना, नौसेना और वायु सेना संकर्म विषयक अपने कृत्यों के भागरूप संचार साधनों के निर्माण और बनाए रखने की संघ की शक्ति को निर्बंधित करने वाली नहीं मानी जाएगी ।
३)संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार किसी राज्य में रेलों के संरक्षण के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में उस राज्य को निदेश देने तक भी होगा ।
४) जहां खंड (२) के अधीन संचार साधनों के निर्माण या बनाए रखने के बारे में अथवा खंड (३) के अधीन किसी रेल के संरक्षण के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में किसी राज्य को दिए गए किसी निदेश के पालन में उस खर्च से अधिक खर्च हो गया है जो, यदि ऐसा निदेश नहीं गया होता तो राज्य के प्रसामान्य कर्तव्यों के निर्वहन में खर्च होता वहां उस राज्य द्वारा इस प्रकार किए गए अतिरिक्त खर्चों के संबंध में भारत सरकार द्वारा उस राज्य को ऐसी राशि का, जो करार पाई जाए या करार के अभाव में ऐसी राशि का, जिसे भारत के मुख्य न्यायमूर्ति द्वारा नियुक्त मध्यस्थ अवधारित करे, संदाय किया जाएगा ।