Constitution अनुच्छेद २३९ख : विधान-मंडल के विश्रांतिकाल में अध्यादेश प्रख्यापित करने की प्रशासक की शक्ति ।

भारत का संविधान
अनुच्छेद २३९ख :
१.(विधान-मंडल के विश्रांतिकाल में अध्यादेश प्रख्यापित करने की प्रशासक की शक्ति ।
१) उस समय को छोडकर जब २.(३.(पुडुचेरी) संघ राज्यक्षेत्र) का विधान-मंडल सत्र में है, यदि किसी समय उसके प्रशासक का यह समाधान हो जाता है कि ऐसी परिस्थितियां विद्यमान हैं जिनके कारण तुरंत कार्रवाई करना उसके लिए आवश्यक हो गया है तो वह ऐसे अध्यादेश प्रख्यापित कर सकेगा जो उसे उन परिस्थितियों में अपेक्षित प्रतीत हों :
परंतु प्रशासक, कोई ऐसा अध्यादेश राष्ट्रपति से इस निमित्त अनुदेश अभिप्राप्त करने के पश्चात् ही प्रख्यापित करेगा, अन्यथा नहीं :
परंतु यह और कि जब कभी उक्त विधान- मंडल का विघटन कर दिया जाता है या अनुच्छेद २३९क के खंड (१) में निर्दिष्ट विधि के अधीन की गई किसी कार्रवाई के कारण उसका कार्यकरण निलंबित रहता है तब प्रशासक ऐसे विघटन या निलंबन की अवधि के दौरान कोई अध्यादेश प्रख्यापित नहीं करेगा।
२)राष्ट्रपति के अनुदेशों के अनुसरण में इस अनुच्छेद के अधीन प्रख्यापित अध्यादेश संघ राज्यक्षेत्र के विधान-मंडल का ऐसा अधिनियम समझा जाएगा जो अनुच्छेद २३९क के खंड (१) में निर्दिष्ट विधि में, उस निमित्त अंतर्विष्ट उपबंधों का अनुपालन करने के पश्चात्, सम्यक् रूप से अधिनियमित किया गया है, किंतु प्रत्येक ऐसा अध्यादेश –
क) संघ राज्यक्षेत्र के विधान-मंडल के समक्ष रखा जाएगा और विधान-मंडल के पुन: समवेत होने से छह सप्ताह की समाप्ति पर या यदि उस अवधि की समाप्ति से पहले विधान-मंडल उसके अननुमोदन का संकल्प पारित कर देता है तो संकल्प के पारित होने पर प्रवर्तन में नहीं रहेगा ; और
ख) राष्ट्रपति से इस निमित्त अनुदेश अभिप्राप्त करने के पश्चात् प्रशासक द्वारा किसी भी समय वापस लिया जा सकेगा ।
३)यदि और जहां तक इस अनुच्छेद के अधीन अध्यादेश कोई ऐसा उपबंध करता है जो संघ राज्यक्षेत्र के विधान-मंडल के ऐसे अधिनियम में, जिसे अनुच्छेद २३९क के खंड (१) में निर्दिष्ट विधि में इस निमित्त अंतर्विष्ट उपबंधों का अनुपालन करने के पश्चात् बनाया गया है, अधिनियमित किए जाने पर विधिमान्य नहीं होता तो और वहां तक वह अध्यादेश शून्य होगा ।
४.(***)
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१.संविधान( सत्ताइसवां संशोधन) अधिनियम, १९७१ की धारा ३ द्वारा (३०-१२-१९७१ से ) अंत:स्थापित ।
२. गोवा, दमण और दीव पुनर्गठन अधिनियम, १९८७(१९८७ का १८) की धारा ६३ द्वारा (३०-५-१९८७ से) अनुच्छेद २३९क के खंड (१) में निर्दिष्ट संघ राज्यक्षेत्रों शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३.पांडिचेरी (नाम परिवर्तन) अधिनियम, २००६ (२००६ का ४४) की धारा द्वारा (१-१०-२००६ से) पांडिचेरी के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
४.संविधान( अडतीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७५ की धारा ४ द्वारा (भूतलक्षी प्रभाव से ) खंड (४) अंत:स्थापित किया गया और उसका संविधान (चवालीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७८ की धारा ३२ द्वारा (२०-६-१९७९ से) लोप किया गया ।

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