भारत का संविधान
अनुच्छेद २३९कक :
१.(दिल्ली के संबंध में विशेष उपबंध ।
(१) संविधान (उनहत्तरवां संशोधन ) अधिनियम, १९९१ के प्रारंभ से दिल्ली संघ राज्यक्षेत्र को दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र (जिसे इस भाग में इसके पश्चात् राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र कहा गया है ) कहा जाएगा और अनुच्छेद २३९ के अधीन नियुक्त उसके प्रशासक का पदाभिधान उप-राज्यपाल होगा ।
२)क) राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र के लिए एक विधान सभा होगी और ऐसी विधान सभा में स्थान राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र में प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों में से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने हुए सदस्यों से भरे जाएंगे ।
ख) विधान सभा में स्थानों की कुल संख्या, अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित स्थानों की संख्या, राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र के प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों में विभाजन (जिसके अंतर्गत ऐसे विभाजन का आधार है ) तथा विधान सभा के कार्यकरण से संबंधित सभी अन्य विषयों का विनियमन, संसद् द्वारा बनाई गई विधि द्वारा किया जाएगा।
ग)अनुच्छेद ३२९ से अनुच्छेद ३२७ और अनुच्छेद ३२९ के उपबंध राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र, राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र की विधान सभा और उसके सदस्यों के संबंध में वैसे ही लागू होंगे जेैसे वे, किसी राज्य, किसी राज्य की विधान सभा और उसके सदस्यों के संबंध में लागू होते हैं तथा अनुच्छेद ३२६ और अनुच्छेद ३२९ में समुचित विधान-मंडल के प्रति निर्देश के बारे में यह समझा जाएगा कि वह संसद् के प्रति निर्देश है ।
३) (क) इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए, विधान सभा को राज्य सूची की प्रविष्टि १, प्रविष्टि २ और प्रविष्टि १८ से तथा उस सूची की प्रविष्टि ६४, प्रविष्टि ६५ और प्रविष्टि ६६ से, जहां तक उनका संबंध उक्त प्रविष्टि १ , प्रविष्टि २ और प्रविष्टि १८ से है, संबंधित विषयों से भिन्न राज्य सूची में या समवर्ती सूची में प्रगणित किसी भी विषय के संबंध में, जहां तक ऐसा कोई विषय संघ राज्यक्षेत्रों को लागू है, संपूर्ण राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए विधि बनाने की शक्ति होगी ।
ख) उपखंड (क) की किसी बात से संघ राज्यक्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए किसी भी विषय के संबंध में इस संविधान के अधीन विधि बनाने की संसद् की शक्ति का अल्पीकरण नहीं होगा ।
ग) यदि विधान सभा द्वारा किसी विषय के संबंध में बनाई गई विधि का कोई उपबंध संसद् द्वारा उस विषय के संबंध में बनाई गई विधि के, चाहे वह विधान सभा द्वारा बनाई गई विधि से पहले या उसके बाद में पारित की गई हो, या किसी पूर्वतर विधि के, जो विधान सभा द्वारा बनाई गई विधि से भिन्न है, किसी उपबंध के विरूध्द है तो, दोनों दशाओं में, यथास्थिति, संसद् द्वारा बनाई गई विधि, या ऐसी पूर्वतर विधि अभिभावी होगी :
पंरतु यह और कि इस उपखंड की कोई बात संसद् को उसी विषय के संबंध में कोई विधि जिसके अंतर्गत ऐसी विधि है जो विधान सभा द्वारा इस प्रकार बनाई गई विधि का परिवर्धन, संशोधन, परिवर्तन या निरसन करती है, किसी भी समय अधिनियमित करने से निवारित नहीं करेगी ।
४) जिन बातों में किसी विधि द्वारा या उसके अधीन उप-राज्यपाल से यह अपेक्षित है कि वह अपने विवेकानुसार कार्य करे उन बातों को छोडकर, उप-राज्यपाल की, उन विषयों के संबंध में, जिनकी बाबत विधना सभा को विधि बनाने की शक्ति है, अपने कृत्यों का प्रयोग करने में सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद् होगी जो विधान सभा की कुल सदस्य संख्या के दस प्रतिशत से अनधिक सदस्यों से मिलकर बनेगी, जिसका प्रधान, मुख्यमंत्री होगा :
परंतु उप- राज्यपाल और उसके मंत्रियों के बीच किसी विषय पर मतभेद की दशा में, उप-राज्यपाल उसे राष्ट्रपति को विनिश्चय के लिए निर्देशित करेगा और राष्ट्रपति द्वारा उस पर किए गए विनिश्चय के अनुसार कार्य करेगा तथा ऐसा विनिश्चय होने तक उप-राज्यपाल किसी ऐसे मामले में, जहां वह विषय, उसकी राय में, इतना आवश्यक है जिसके कारण तुरंत कार्रवाई करना उसके लिए आवश्यक है वहां, उस विषय में ऐसी कार्रवाई करने या ऐसा निदेश देने के लिए, जो वह आवश्यक समझे, सक्षम होगा ।
५)मुख्यमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री की सलाह पर करेगा तथा मंत्री, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त अपने पद धारण करेंगे ।
६) मंत्रिपरिषद् विधान सभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी ।
२.(७)(क) संसद्, पूर्वगामी खंडो को प्रभावी करने के लिए, या उनमें अंतर्विष्ट उपबंधो की अनुपूर्ति के लिए और उनके आनुषंगिक या पारिणामिक सभी विषयों के लिए, विधि द्वारा, उपबंध कर सकेगी ।
३.(ख)) उपखंड (क) में निर्दिष्ट विधि को, अनुच्छेद ३६८ के प्रयोजनों के लिए इस संविधान का संशोधन इस बात के होते हुए भी नहीं समझा जाएगा कि उसमें कोई ऐसा उपबंध अंतर्विष्ट है जो इस संविधान का संशोधन करता है या संशोधन करने का प्रभाव रखाता है ।
८) अनुच्छेद २३९ ख के उपबंध, जहां तक हो सके, राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र, उप-राज्यपाल और विधान सभा के संबंध में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे ४.(पुडुचेरी ) संघ राज्यक्षेत्र, प्रशासक और उसके विधान- मंडल के संंबंध में लागू होते हैं; और उस अनुच्छेद में अनुच्छेद २३९क के खंड (१) के प्रति निर्देश के बारे में यह समझा जाएगा कि वह, यथास्थिति, इस अनुच्छेद या अनुच्छेद २३९कख के प्रति निर्देश है ।)
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१.सविधान (उनहत्तरवां संशोधन ) अधिनियम, १९९१ की धारा २ द्वारा (१-२-१९९२ से ) अंत:स्थापित ।
२.संविधान( सत्तरवां संशोधन) अधिनियम, १९९२ की धारा ३ द्वारा (२१-१२-१९९१ से ) (७) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३.संविधान( सत्तरवां संशोधन) अधिनियम, १९९२ की धारा ३ द्वारा (२१-१२-१९९१ से ) अंत:स्थापित ।
४.पांडिचेरी (नाम परिवर्तन) अधिनियम, २००६ (२००६ का ४४ ) धारा ४ द्वारा (१-१०-२००६ से) पांडिचेरी के स्थान पर प्रतिस्थपित ।