भारत का संविधान
अनुच्छेद २२८ :
कुछ मामलों का उच्च न्यायालय को अंतरण ।
यदि उच्च न्यायालय का यह समाधान हो जाता है कि उसके अधीनस्थ किसी न्यायालय में लंबित किसी मामले में इस संविधान के निर्वचन के बारे में विधि का कोई सारवान् प्रश्न अंतर्वलित है जिसका अवधारण मामले के निपटारे के लिए आवश्यक है १.(तो वह २.(***) उस मामले को अपने पास मंगा लेगा और – )
क) मामले को स्वयं निपटा सकेगा, या
ख) उक्त विधि के प्रश्न का अवधारण कर सकेगा और उस मामले को ऐसे प्रश्न पर निर्णय की प्रतिलिपि सहित उस न्यायालय को, जिससे मामला इस प्रकार मंगा लिया गया है, लौटा सकेगा और उक्त न्यायालय उसके प्राप्त होने पर उस मामले को ऐसे निर्णय के अनुरूप निपटाने के लिए आगे कार्यवाही करेगा ।
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१.संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७६ की धारा ४१ द्वारा (१-२-१९७७ से ) तो वह उस मामले को अपने पास मंगा लेगा तथा – के स्थान पर प्रतिस्थापित।
२.संविधान (तैंतालीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७७ की धारा ९ द्वारा (१३-४-१९७८से ) अनुच्छेद १३१ क के उपबंधों के अधीन रहते हुए शब्दों, अंकों और अक्षर का लोप किया गया।