भारत का संविधान
अनुच्छेद २०६:
लेखानुदान, प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान ।
१)इस अध्याय के पूर्वगामी उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी, किसी राज्य की विधान सभा को –
क)किसी वित्तीय वर्ष के भाग के लिए प्राक्कलित व्यय के संबंध में कोई अनुदान, उस अनुदान के लिए मतदान करने के लिए अनुच्छेद २०३ में विहित प्रक्रिया के पूरा होने तक और उस व्यय के संबंध में अनुच्छेद २०४ के उपबंधों के अनुसार विधि के पारित होने तक, अग्रिम देने की;
ख) जब किसी सेवा की महत्ता या उसके अनिश्चित रूप के कारण मांग ऐसे ब्यौरे के साथ वर्णित नहीं की जा सकती है जो वार्षिक वित्तीय विवरण में सामान्यतया दिया जाता है तब राज्य के संपत्ति स्त्रोतों पर अप्रत्याशित मांग की पूर्ति के लिए अनुदान करने की है ;
ग)किसी वित्तीय वर्ष की चालू सेवा का जो अनुदान भाग नहीं है ऐसा कोई अपवादानुदान करने की,
शक्ति होगी और जिन प्रयोजनों के लिए उक्त अनुदान किए गए हैं उनके लिए राज्य की संचित निधि में से धन निकालता विधि द्वारा प्राधिकृत करने की राज्य के विधान-मंडल को शक्ति होगी ।
२) खंड (१) के अधीन किए जाने वाले किसी अनुदान और उस खंड के अधीन बनाई जाने वाली किसी विधि के संबंध में अनुच्छेद २०३
और अनुच्छेद २०४ के उपबंध वैसे ही प्रभावी होंगे जैसे वे वार्षिक वित्तीय विवरण में वर्णित किसी व्यय के बारे में कोई अनुदान करने के संबंध में और राज्य की संचित निधि में से ऐसे व्यय की पूर्ति के लिए धन का विनियोग प्राधिकृत करने के लिए बनाई जाने वाली विधि के संबंध में प्रभावी हैं ।