भारत का संविधान
स्वातंत्र्य अधिकार :
अनुच्छेद १९ :
वाक्-स्वातंत्र्य आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण ।
१)सभी नागरिकों को –
क)वाक्-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति- स्वातंत्र्य का,
ख) शांतिपूर्वक और निरायुध सम्मेलन का,
ग)संगम या स्घ १.(या सहकारी सोसायटी ) बनाने का,
घ) भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र अबाध संचरण का,
ड) भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भाग में निवास करने और बस जाने का, २.(और)
3.(***)
छ)कोई वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारबार करने का, अधिकार होगा ।
४.((२)खंड (१) के उपखंड (क) की कोई बात उक्त उपखंड द्वारा दिए गए अधिकार के प्रयोग पर ५.(भारत की प्रभुता और अखंडता,) राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधो, लोक व्यवस्था, शिष्टाचार या सदाचार के हितों में अथवा न्यायालय – अवमान, मानहानि या अपराध-उद्दीपन के संबंध में युक्तियुक्त निर्बंधन जहां तक कोई विदयमान विधि अधिरोपित करती है वहां तक उसके प्रवर्तन पर प्रभाव नहीं डालेगी या वैसे निर्बंधन अधिरोपित करने वाली कोई विधि बनाने से राज्य को निवारित नही करेगी ।)
३) उक्त खंड के उपखंड (ख) की कोई बात उक्त उपखंड द्वारा दिए गए अधिकार के प्रयोग पर ५.(भारत की प्रभुता और अखंडता या ) लोक व्यवस्था के हितों में युक्तियुक्त निर्बंन्धन जहां तक कोई विदयमान विधि अधिरोपित करती है वहां तक उसके प्रवर्तन पर प्रभाव नहीं डालेगी या वैसे निर्बन्धन अधिरोपित करने वाली कोई विधि बनाने से राज्य को निवारित नहीं करेगी ।
४) उक्त खंड के उपखंड (ग) की कोई बात उक्त उपखंड द्वारा दिए गए अधिकार के प्रयोग पर ५.(भारत की प्रभुता और अखंडता या ) लोक व्यवस्था या सदाचार के हितों में युक्तियुक्त निर्बंन्धन जहां तक कोई विद्दयमान विधि अधिरोपित करती है वहां तक उसके प्रवर्तन पर प्रभाव नहीं डालेगी या वैसे निर्बन्धन अधिरोपित करने वाली कोई विधि बनाने से राज्य को निवारित नहीं करेगी ।
५) उक्त खंड के ७.(उपखंड (घ) और उपखंड (ड) की कोई बात उक्त उपखंडों द्वारा दिए गए अधिकारों के प्रयोग पर साधारण जनता के हितों में या किसी अनुसूचित जगजाति के हितों के संरक्षण के लिए युक्तियुक्त निर्बन्धन जहां तक कोई विदयमान विधि अधिरोपित करती है वहां तक उसके प्रवर्तन पर प्रभाव नहीं डालेगी या वैसे निर्बन्धन अधिरोपित करने वाली कोई विधि बनाने से राज्य को निवारित नहीं करेगी।
६)उक्त खंड के उपखंड (छ) की कोई बात उक्त उपखंड द्वारा दिए गए अधिकार के प्रयोग पर साधारण जनता के हितों में युक्तियुक्त निर्बन्धन जहां तक कोई विदयमान विधि अधिरोपित करती है वहां तक उसके प्रवर्तन पर प्रभाव नहीं डालेगी या वैसे निर्बन्धन अधिरोपित करने वाली कोई विधि बनाने से राज्य को निवारित नहीं करेगी और विशिष्टतया ८(उक्त उपखंड की कोई बात –
एक)कोई वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारबार करने के लिए आवश्यक वृत्तिक या तकनीकी अर्हताओं से, या
दो)राज्य द्वारा या राज्य के स्वामित्व या नियंत्रण में किसी निगम द्वारा कोई व्यापार, कारबार, उद्योग या सेवा, नागरिकों का पूर्णत: या भागत: अपवर्जन करके या अन्यथा, चलाए जाने से जहां तक कोई विद्यमान विधि संबंध रखती है वहां तक उसके प्रवर्तन पर प्रभाव नहीं डालेगी या इस प्रकार संबंध रखने वाली कोई विधि बनाने से राज्य को निवारित नहीं करेगी ।)
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१.संविधान (सतानवेवां संशोधन) अधिनियम, २०११ की धारा २ द्वारा अंत:स्थापित ।
२. संविधान (चवालीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७८ की धारा २ द्वारा (२०-६-१९७९ से ) अंत:स्थापित ।
३. संविधान (चवालीसवां संशोधन) अधिनियम,१९७८ की धारा २ द्वारा (२०-६-१९७९ से ) उपखंड (च) का लोप किया गया ।
४. संविधान (पहला संशोधन) अधिनियम, १९५१ की धारा ३ द्वारा (भूतलक्षी प्रभाव से ) खंड (२) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
५. संविधान (सोलहवां संशोधन) अधिनियम, १९६३ की धारा २ द्वारा अंत:स्थापित ।
६. संविधान (चवालीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७८ की धारा २ द्वारा (२०-६-१९७९ से) उपखंड (घ), उपखंड (ड) और उपखंड (च) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
७. संविधान (पहला संशोधन) अधिनियम, १९५१ की धारा ३ द्वारा कुछ शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।