भारत का संविधान
अनुच्छेद १६४ :
मंत्रियों के बारे में अन्य उपबंध ।
१) मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल, मुख्यमंत्री की सलाह पर करेगा तथा मंत्री, राज्यपाल के प्रसादपर्यंत अपने पद धारण करेंगे :
परंतु १.(छत्तीसगढ, झारखंड ) मध्यप्रदेश और २.(ओडिशा) राज्यों में जनजातियों के कल्याण का भारसाधक एक मंत्री होगा जो साथ ही अनुसूचित जातियों और पिछडे वर्गों के कल्याण का या किसी अन्य कार्य का भी भारसाधक हो सकेगा ।
३.((१क) किसी राज्य की मंत्रिपरिषद् में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या उस राज्य की विधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या के पंद्रह प्रतिशत से अधिक नहीं होगी :
परंतु किसी राज्य में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की संख्या बारह से कम नहीं होगी :
परंतु यह और कि जहां संविधान (इतक्यानवेवां संशोधन ) अधिनियम, २००३ के प्रारंभ पर किसी राज्य की मंत्रिपरिषद् में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या, यथास्थिति, उक्त पंद्रह प्रतिशत या पहले परंतुक में विनिर्दिष्ट संख्या से अधिक है वहां उस राज्य में मंत्रियों की कुल संख्या ऐसी 4.(तारीख) से, जो राष्ट्रपति लोक अधिसूचना द्वारा नियत करे, छह मास के भीतर इस खंड के उपबंधों के अनुरूप लाई जाएगी ।
(१ख) किसी राजनीतिक दल का किसी राज्य की विधान सभा का या किसी राज्य के विधान- मंडल के किसी सदन का जिसमें विधान परिषद् है, कोई सदस्य जो दसवीं अनुसूची के पैरा २ के अधीन उस सदन का सदस्य होने के लिए निरर्हित है, अपनी निरर्हता की तारीख से प्रारंभ होने वाली और उस तारीख तक जिसको ऐसे सदस्य के रूप में उसकी पदावधि समाप्त होगी या जहां वह, ऐसी अवधि की समाप्ति के पूर्व, यथास्थिति, किसी राज्य की विधान सभा के लिए या विधना परिषद् वाले किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन के लिए कोई निर्वाचन लडता है उस तारीख तक जिसको वह निर्वाचित घोषित किया जाता है, इनमें से जो भी पूर्वतर हो, की अवधि के दौरान, खंड १) के अधीन मंत्री के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए भी निरर्हित होगा । )
२) मंत्रिपरिषद् राज्य की विधान सभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी ।
३) किसी मंत्री द्वारा अपना पद ग्रहण करने से पहले, राज्यपाल तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिए दिए गए प्ररूपों के अनुसार उसको पद की और गोपनीयता की शपथ दिलाएगा ।
४)कोई मंत्री, जो निरंतर छह मास की किसी अवधि तक राज्य के विधान- मंडल का सदस्य नहीं है, उस अवधि की समाप्ति पर मंत्री नहीं रहेगा ।
५) मंत्रियों के वेतन और भत्ते ऐसे होंगे जो उस राज्य का विधान- मंडल, विधि द्वारा, समय -समय पर अवधारित करे और जब तक उस राज्य का विधान -मंडल इस प्रकार अवधारित नहीं करता है तब तक ऐसे होंगे जो दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं ।
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१.संविधान ( चौरानवेवां संशोधन ) अधिनियम, २००६ की धारा २ द्वारा बिहार शब्द के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. उडीसा (नाम- परिवर्तन ) अधिनियम, २०११ (२०११ का १५) की धारा ४ द्वारा ( १-११-२०११ सें ) उडीसा के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३. संविधान (इतक्यानवेवां संशोधन) अधिनियम, २००३ की धारा ३ द्वारा अंत:स्थापित ।
४. ७.१.२००४, देखिए का. आ. २१(अ), दिनांक ७-१-२००४ ।