भारत का संविधान
अनुच्छेद १५८ :
राज्यपाल के पद के लिए शर्तें ।
१) राज्यपाल संसद् के किसी सदन का या पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट किसी राज्य के विधान – मंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होगा और यदि संसद् के किसी सदन का या ऐसे किसी राज्य के विधान- मंडल के किसी सदन का कोई सदस्य राज्यपाल नियुक्त हो जाता है तो यह समझा जाएगा कि उसने उस सदन में अपना स्थान राज्यपाल के रूप में अपने पद ग्रहण की तारीख से रिक्त कर दिया है ।
२) राज्यपाल अन्य कोई लाभ का पद धारण नहीं करेगा ।
३)राज्यपाल , बिना किराया दिए, अपने शासकीय निवासों के उपयोग का हकदार होगा और ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का भी, जो संसद् विधि द्वारा, अवधारित करे और जब तक इस निमित्त इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का, जो दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं, हकदार होगा ।
१.(३ क) जहां एक ही व्यक्ति को दो या अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जाता है वहां उस राज्यपाल को संदेय
उपलब्धियां और भत्ते उन राज्यों के बीच ऐसे अनुपात में आबंटित किए जाएंगे जो राष्ट्रपति आदेश द्वारा अवधारित करे । )
४) राज्यपाल की उपलब्धियां और भत्ते उसकी पदावधि के दौरान कम नहीं किए जाएंगे ।
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१.संविधान (सातवां संशोधन ) अधिनियम, १९५६ की धारा ७ द्वारा अंत:स्थापित ।