भारत का संविधान
अनुच्छेद १२४-क :
१.(राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग ।
१)राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग नामक एक आयोग होगा, जो निम्नलिखित से मिलकर बनेगा, अर्थात्: –
क)भारत का मुख्य न्यायमूर्ति – अध्यक्ष, पदेन;
ख) भारत के मुख्य न्यायमूर्ति से ठीक नीचे के उच्चतम न्यायालय के दो अन्य ज्येष्ठ न्यायाधीश -सदस्य, पदेन;
ग) संघ का विधि और न्याय का भारसाधक मंत्री – सदस्य, पदेन ;
घ)प्रधान मंत्री, भारत के मुख्य न्यायमुर्ति और लोक सभा में विपक्ष के नेता या जहां ऐसा कोई विपक्ष का नेता नहीं है वहां, लोक सभा में सबसे बडे एकल विपक्षी दल के नेता से मिलकर बनने वाली समिति द्वारा नामनिर्दिष्ट किए जाने वाले दो विख्यात व्यक्ति-सदस्य :
परंतु विख्यात व्यक्तियों में से एक विख्यात व्यक्ति, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछडे वर्ग, अल्पसंख्यक वर्ग के व्यक्तियों अथवा स्त्रियों में से नामनिर्दिष्ट किया जाएगा :
परंतु यह और कि विख्यात व्यक्ति तीन वर्ष की अवधि के लिए नामनिर्दिष्ट किया जाएगा और पुन: नामनिर्देशन का पात्र नहीं होगा ।
२) राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग का कोई कार्य या कार्यवाहियां, केवल इस आधार पर प्रश्नगत नहीं की जाएंगी या अविधिमान्य नहीं होंगी कि आयोग में कोई रिक्ति है या उसके गठन में कोई त्रुटि है ।
——–
१. संविधान (निन्यानवेवां संशोधन) अधिनियम, २०१४ की धारा ३ द्वारा (१३-४-२०१५ से ) अंत:स्थापित । यह संशोधन सुप्रीम कोर्ट एडव्हेकेट्स आन रिकार्ड एसोसिएशन बनाम भारत संघ वाले मामले में उच्चतम न्यायालय के तारीख १६ अक्तुबर, २०१५ के आदेश द्वारा अभिखंडित कर दिया गया है ।