भारत का संविधान
अनुच्छेद १०३ :
१.(सदस्यों की निरर्हताओं से संबंधित प्रश्नों पर विनिश्चय ।
१) यदि यह प्रश्न उठता है कि संसद् के किसी सदन का कोई सदस्य अनुच्छेद १०२ के खंड (१) में वर्णित किसी निरर्हता से ग्रस्त हो गया है या नहीं तो वह प्रश्न राष्ट्रपति को विनिश्चय के लिए निर्देशित किया जाएगा और उसका विनिश्चय अंतिम होगा ।
(२)ऐसे किसी प्रश्न पर विनिश्चय करने के पहले राष्ट्रपति निर्वाचन आयोग की राय लेगा और ऐसी राय के अनुसार कार्य करेगा।)
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१.अनुच्छेद १०३, संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७६ की धारा २० द्वारा (३-१-१९७७ से ) और तत्पश्चात् संविधान (चवालीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७८ की धारा १४ द्वारा ( २०-६-१९७९ से ) संशोधित होकर उपरोक्त रूप में आया ।