बालक श्रम अधिनियम १९८६
धारा ७ :
काम के घंटे और कालावधि :
१) किसी १.(कुमार) से किसी स्थापन में उतने घंटों से अधिक काम करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी या अनुज्ञा नहीं दी जाएगी, जो ऐसे स्थापन या स्थापनों के वर्ग के लिए विहित किए जाएं ।
२) प्रत्येक दिन काम की कालावधि इस प्रकार नियत की जाएगी कि कोई कालावधि तीन घंटे से अधिक की नहीं होगी और कोई १.(किशोर) कम से कम एक घंटे का विश्राम अन्तराल ले चुकने से पूर्व तीन घंटे से अधिक काम नहीं करेगा ।
३) किसी १.(किशोर) के काम की कालावधि की व्यवस्था इस प्रकार की जाएगी कि वह उपधारा (२) के अधीन उसके विश्राम के अन्तराल सहित छह घंटो से अधिक की नहीं होगी, जिसके अन्तर्गत किसी दिन काम के लिए प्रतीक्षा में बिताया गया समय भी है ।
४) किसी १.(किशोर) से ७ बजे सायं और ८ बजे प्रात: के बीच काम करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी या अनुज्ञा नहीं दी जाएगी ।
५) किसी १.(किशोर) से अतिकाल में काम करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी या अनुज्ञा नहीं दी जाएगी ।
६) किसी १.(किशोर) से किसी स्थापन में ऐसे दिन काम करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी या अनुज्ञा नहीं दी जाएगी, जिस दिन वह पहले से ही किसी अन्य स्थापन में काम कर रहा हो ।
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१. २०१६ के अधिनियम सं० ३५ की धारा ११ द्वारा बालक शब्द के स्थान पर प्रतिस्थापित ।