बालक श्रम अधिनियम १९८६
धारा २ :
परिभाषाएं :
इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, –
१.(एक क) समुचित सरकार से केन्द्र सरकार के नियंत्रण के अधीन स्थापन या रेल प्रशासन या महापत्तन या किसी खान या तेल क्षेत्र के संबंध में केन्द्र सरकार और सभी अन्य मामलों में, राज्य सरकार अभिप्रेत है;
२.(एक) कुमार से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसने अपनी आयु का चौदहवां वर्ष पूरा कर लिया है, किन्तु अपनी आयु का अठारहवां वर्ष पूरा नहीं किया है;)
३.(दो) बालक से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसने अपनी आयु का चौदहवां वर्ष या ऐसी आयु जो नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ में विनिर्दिष्ट की जाए, इनमें से जो भी अधिक पूरी नहीं की है;)
तीन) दिन से अर्थ-रात्रि से आरंभ होने वाली चौबीस घंटे की कालावधि अभिप्रेत है;
चार) स्थापन के अन्तर्गत दुकान, वाणिज्यिक स्थापन, कर्मशाला, फार्म, आवासीय होटल, उपाहारगृह, भोजन-गृह, नाट्यगृह या सार्वजनिक आमोद या मनोरंजन का अन्य स्थान है;
पाँच) अधिष्ठाता के संबंध में कुटुम्ब से अभिप्रेत है कोई व्यष्टि, ऐसे व्यष्टि का पति या पत्नी और उनकी संतान और ऐसे व्यष्टि का भाई या बहन;
छह) किसी स्थापन या कर्मशाला के संबंध में अधिष्ठाता से वह व्यक्ति अभिप्रेत है जिसे स्थापन या कर्मशाला के कामकाज पर अंतिम नियंत्रण प्राप्त है;
सात) पत्तन प्राधिकारी से पत्तन प्रशासन करने वाला कोई प्राधिकारी अभिप्रेत है;
आठ) विहित से धारा १८ के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है;
नौ) सप्ताह से शनिवार की रात्रि को या ऐसी अन्य रात्रि को, जो निरीक्षक द्वारा किसी विशिष्ट क्षेत्र के लिए लिखकर अनुमोदित की जाए, अर्थ-रात्रि से प्रारंभ होने वाली सात दिन की कालावधि अभिप्रेत है;
दस) कर्मशाला से अभिप्रेत है कोई ऐसा परिसर, (जिसके अन्तर्गत उसकी प्रसीमाएं भी है) जिसमें कोई औद्योगिक प्रक्रिया की जाती है किन्तु इसके अन्तर्गत ऐसा कोई परिसर नहीं है जिसको कारखाना अधिनियम १९४८ (१९४८ का ६३) की धारा ६७ के उपबंध तत्समय लागू होते है ।
——–
१. २०१६ के अधिनियम सं० ३५ की धारा ४ द्वारा खंड (एक) को उसके खंड (एक क) के रुप में पुनर्संख्यांकित किया ।
२. २०१६ के अधिनियम सं० ३५ की धारा ४ द्वारा अन्त:स्थापित ।
३. २०१६ के अधिनियम सं० ३५ की धारा ४ द्वारा खंड (दो) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।