भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ५०७ :
वे अनियमितताएँ जो कार्यवाही को दूषित करती है :
यदि कोई मजिस्ट्रेट, जो निम्नलिखित बातों में से कोई बात विधि द्वारा इस निमित्त सशक्त न होते हुए, करता है तो उसकी कार्यवाही शून्य होगी, अर्थात्-
(a) क) संपत्ति को धारा ८५ के अधीन कुर्क करना और उसका विक्रय;
(b) ख) किसी डाक या तार प्राधिकारी की अभिरक्षा में की किसी दस्तावेज, पार्सल या अन्य चीज के लिए तलाशी वारण्ट जारी करना;
(c) ग) परिशांति कायम रखने के लिए प्रतिभूति की मांग करना;
(d) घ) सदाचार के लिए प्रतिभूति की मांग करना;
(e) ङ) सदाचारी बने रहने के लिए विधिपूर्वक आबद्ध व्यक्ति को उन्मोचित करना;
(f) च) परिशांति कायम रखने के बंधपत्र को रद्द करना;
(g) छ) भरणपोषण के लिए आदेश देना;
(h) ज) स्थानीय न्यूसेन्स (कंटक) के बारे में १५२ के अधीन आदेश देना;
(i) झ) लोक न्यूसेन्स की पुनरावृत्ति या उसे चालू रखने का धारा १४३ के अधीन प्रतिषेध करना;
(j) ञ)अध्याय ११ के भाग (C)ग या भाग (D)घ के अधीन आदेश देना;
(k) ट) किसी अपराध की धारा २१० की उपधारा (१) के खण्ड (c)(ग) के अधीन संज्ञान करना;
(l) ठ) किसी अपराधी का विचारण करना;
(m) ड) किसी अपराधी का संक्षेपत: विचारण करना;
(n) ढ) किसी अन्य मजिस्ट्रेट द्वारा अभिलिखित कार्यवाही पर धारा ३६४ के अधीन दण्डादेश पारित करना;
(o) ण) अपील का विनिश्चय करना;
(p) त) कार्यवाही को धारा ४३८ के अधीन मंगाना; अथवा
(q) थ) धारा ४९१ के अधीन पारित आदेश का पुनरिक्षण करना ।