भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
अध्याय ३६ :
संपत्ति का व्ययन :
धारा ४९७ :
कुछ मामलों में विचारण लंबित रहने तक संपत्ति का अभिरक्षा और व्ययन के लिए आदेश :
१) जब कोई संपत्ति, किसी दण्ड न्यायालय या विचारण के लिए मामले का संज्ञान या सुपुर्द करने हेतु सशक्त मजिस्ट्रेट के समक्ष किसी जाँच या विचारण के दौरान पेश की जाती है तब वह न्यायालय या मजिस्ट्रेट उस अन्वेषण, जाँच या विचारण के समाप्त होने तक ऐसी संपत्ति की उचित अभिरक्षा के लिए ऐसा आदेश, जैसा वह ठीक समझे, कर सकता है और यदि वह संपत्ति शीघ्रतया या प्रकृत्या क्षयक्षील है या यदि ऐसा करना अन्यथा समीचीन है तो वह न्यायालय, ऐसा साक्ष्य अभिलिखित करने के पश्चात् जैसा वह आवश्यक समझे, उसके विक्रय या उसका अन्यथा व्ययन किए जाने के लिए आदेश कर सकता है ।
स्पष्टीकरण :
इस धारा के प्रयोजन के लिए संपत्ति के अन्तर्गत निम्नलिखित है –
(a) क) किसी भी किस्म की संपत्ति या दस्तावेज जो न्यायालय के समक्ष पेश की जाती है या जो उसकी अभिरक्षा में है;
(b) ख) कोई भी संपत्ति जिसके बारे में कोई अपराध किया गया प्रतीत होता है या जो किसी अपराध के करने में प्रयुक्त की गई प्रतीत होती है ।
२) न्यायालय या मजिस्ट्रेट उपधारा (१) में निर्दिष्ट संपत्ति को उसके समक्ष प्रस्तुत करने से चौदह दिन के अवधि के भीतर ऐसी संपत्ति के ब्यौरे अंतर्विष्ट करने वाला विवरण ऐसे प्ररुप और ऐसी रीति में, जो राज्य सरकार नियमों द्वारा उपबंधित किया करे, तैयार करेगा ।
३) न्यायालय या मजिस्ट्रेट उपधारा (१) में निर्दिष्ट संपत्ति का, मोबाइल फोन या किसी अन्य इलैक्ट्रानिक माध्यम पर फोटो खिंचवाएगा, यदि आवश्यक हो तो विडियो बनवाएगा ।
४) उपधारा (२) के अधीन तैयार विवरण और उपधारा (३) के अधीन लिए गए फोटो या वीडियो इस संहिता के अधीन किसी जांच, विचारण या अन्य कार्यवाही में साक्ष्य के रुप में उपयोग किए जाएंगे ।
५) न्यायालय या मजिस्ट्रेट उपधारा (२) के अधीन तैयार किए गए विवरण और उपधारा (३) के अधीन लिए गए फोटो या वीडियो लिए जाने के तीस दिन की अवधि के भीतर संपत्ति के निपटान, नष्ट, अधिहृत या परिदान करने का आदेश ऐसी रीति में, जो इसमे इसके पश्चात् विहित है, करेगा ।