भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
(E) ङ – दंडादेश का निलंबन, परिहार और लघुकरण :
धारा ४७२ :
मृत्यु दंडादेश मामलों में दया याचिका :
१) मृत्यु दंडादेश के अधीन सिद्धदोष ठहराए गए किसी व्यक्ति या उसका विधिक उत्तराधिकारी या कोई अन्य संबंधी, यदि उसने पूर्व में दया याचिका प्रस्तुत नहीं कि हो, भारत के संविधान के अनुच्छेद ७२ के अधीन भारत के राष्ट्रपति के समक्ष या अनुच्छेद १६१ के अधीन राज्य के उपराज्यपाल को दया याचिका प्रस्तुत कर सकेगा, ऐसी तारीख से तीन दिनों की अवधि के भीतर, जिस दिन जेल अधीक्षक, –
एक) उच्चतम न्यायालय द्वारा अपील, पुनर्विलोकन या विशेष इजाजत अपील के निरस्त करने के बारे में उसे सूचित करता है; या
दो) उच्च न्यायालय द्वारा मृत्यु दंडादेश की पुष्टि की तारीख के बारे में और उच्चतम न्यायालय में कोई अपील या विशेष इजाजत फाइल करना उसे अनुज्ञात का समय समाप्त हो गया है, सूचित करता है ।
२) उपधारा (१) के अधीन याचिका आरंभ में राज्यपाल को की जाएगी और राज्यपाल द्वारा उसके निरस्त करने या निपटान पर, उसकी याचिका के निपटान या निरस्त करने की तारीख से साठ दिन की अवधि के भीतर राष्ट्रपति को की जाएगीŸ।
३) दया याचिका की प्रप्ति पर जेल अधीक्षक या जेल प्रभारी अधिकारी के माध्यम से सुनिश्चित करेगा कि, प्रत्येक सिद्धदोष, एक से अधिक सिद्धदोष होने की दशा में साठ दिन की अवधि के भीतर दया याचिका प्रस्तुत करे और अन्य सिद्धदोषों से ऐसी यचिका प्राप्त न होने की दशा में जेल का अधीक्षक नाम, पते, मामले के अभिलेख की प्रति और मामले के सभी अन्य ब्यौरे उक्त दया याचिका सहित विचार के लिए राज्य सरकार या केन्द्र सरकार को भेजेगा ।
४) केन्द्रीय सरकार, दया याचिका की प्राप्ति पर राज्य सरकार से टिप्पणियां मांगेगी और मामले के अभिलेख सहित याचिका पर विचार करेगी तथा राज्य सरकार की टीका-टिप्पणियां और जेल अधीक्षक से अभिलेखों की प्राप्ति की तारीख से साठ दिन की अवधि के भीतर यथा संभवशीघ्र इस निमित्त राष्ट्रपति को सिफारिश करेगी ।
५) राष्ट्रपति दया याचिका पर विचार, विनिश्चय और निपटान कर सकेगा और किसी मामले में यदि एक से अधिक सिद्धदोष है तो याचिकाएं न्यायहित में एक साथ राष्ट्रपति द्वारा विनिश्चित की जाएंगीŸ ।
६) केन्द्रीय सरकार, दया याचिका पर राष्ट्रपति के आदेश की प्राप्ति पर राज्य के गृह विभाग और जेल अधीक्षक या जेल के प्रभारी अधिकारी को उसे अडतालीस घंटे के भीतर संसूचित करेगी।
७) संविधान के अनुच्छेद ७२ के अधीन राष्ट्रपति या राज्यपाल के आदेश के विरुद्ध किसी न्यायालय में कोई अपील नहीं होगी और यह अंतिम होगा तथा राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा विनिश्चय पर पहुंचने के किसी प्रश्न पर किसी न्यायालय में कोई जांच नहीं की जाएगी ।