भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
अध्याय ५ :
व्यक्तियों की गिरफ्तारी :
धारा ३५ :
पुलिस वारण्ट के बिना कब गिरफ्तार कर सकेगी :
१) कोई पुलिस अधिकारी मजिस्ट्रेट के आदेश बिना और वारण्ट के बिना किसी ऐसे व्यक्ती को गिरफ्तार कर सकता है :
(a) क) जो किसी पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में संज्ञेय अपराध कारित करता है;
(b) ख) जिसके विरुद्ध कोई युक्तियुक्त परिवाद (उचित शिकायत) किया गया है, या कोई विश्वसनीय सूचना प्राप्त हुई है, या युक्तियुक्त (उचित) संदेह विद्यमान है कि उसने ऐसी अवधि के कारावास से दण्डनीय संज्ञेय अपराद कारित किया है जो सात वर्ष से कम की हो सकती है या जो सात वर्ष तक की हो सकती है चाहे जुर्माने सहित हो या जुर्माने के बिना, यदि निम्नलिखित शर्तों का समाधान कर दिया जाता है, अर्थात् :-
एक) ऐसे परिवाद, सूचना या संदेह के आधार पर पुलिस अधिकारी का यह विश्वास करने का कारण है कि ऐसे व्यक्ती ने उक्त अपराध कारित किया है ;
दो) पुलिस अधिकारी का समाधान हो गया है कि ऐसी गिरफ्तारी आवश्यक है –
(a) क) ऐसे व्यक्ती को ऐसे और किसी अपराध को कारित करने से निवारित करने के लिए; या
(b) ख) अपराध के उचित अन्वेषण के लिए; या
(c) ग) ऐसे व्यक्ती को अपराद के साक्ष्य को मिटाने या ऐसे साक्ष्य से किसी ढंग से छेड-छाड करने से निवारित करने के लिए; या
(d) घ) ऐसे व्यक्ती को मामले के तथ्यों से परिचित किसी व्यक्ती को प्रलोभन देने, धमकी देने या वायदा करने से निवारित करने के लिए ताकि ऐसा व्यक्ती ऐसे तथ्यों को न्यायालय या पुलिस अधिकारी को प्रकट न करे; या
(e) ङ) क्योंकि जब तक ऐसा व्यक्ती गिरफ्तार नहीं किया जाता, उसकी न्यायालय में उपस्थिति जब कभी भी अपेक्षित हो, सुनिश्चित नहीं की जा सकती और पुलिस अधिकारी ऐसी गिरफ्तारी करते समय, अपने कारणों को लिखित में अभिलिखित करेगा ।
परन्तु यह किं कोई पुलिस अधिकारी, उन समस्त मामलों में जहाँ इस उपधारा के उपबंधो के अधीन किसी व्यक्ती की गिरफ्तारी अपेक्षित नहीं है, तो गिरफ्तार न करने के लिए लिखित में कारण अभिलिखित करेगा ।
(c) ग) जिसके विरुद्ध विश्वसनीय सूचना प्राप्त हुई है कि उसने ऐसा संज्ञेय अपराध कारित किया है जो ऐसी अवधि के कारावास से दण्डनीय है जो जुर्माने सहित या जुर्माने के बिना सात वर्ष से अधिक तक या मृत्यु दण्ड को हो सकेगा तथा पुलिस अधिकारी का ऐसी सूचना के आधार पर यह विश्वास करने का कारण है कि ऐसे व्यक्ति ने उक्त अपराध कारित किया है ।
(d) घ) जो या तो इस संहिता के अधीन या राज्य सरकार के आदेश द्वारा अपराधी उद्घोषित किया जा चुका है; अथवा
(e) ङ) जिसके कब्जे में कोई ऐसी चीज पाई जाती है जिसके चुराई हुई सम्पत्ति होने का उचित रुप से सन्देह किया जा सकता है और जिस पर ऐसी चीज के बारे में अपराध करने का उचित रुप से सन्देह किया जा सकता है; अथवा
(f) च) जो पुलिस अधिकारी को उस समय बाधा पहुँचाता है जब वह अपना कर्तव्य कर रहा है, या जो विधिपूर्ण अभिरक्षा से निकल भागा है या निकल भागने का प्रयत्न करता है; अथवा
(g) छ) जिस पर संघ के सशस्त्र बलों में से किसी से अभित्याजक होने का उचित सन्देह है; अथवा
(h) ज) जो भारत से बाहर किसी स्थान में किसी ऐसे कार्य किए जाने से, जो यदि भारत में किया गया होता तो अपराध के रुप में दण्डनीय होता, और जिसके लिए वह प्रत्यर्पण सम्बन्धी किसी विधि के अधीन या अन्यथा भारत में पकडे जाने का या अभिरक्षा में निरुद्ध किए जाने का भागी है, संबद्ध रह चुका है या जिसके विरुद्ध इस बारें में उचित परिवाद किया जा चुका है या विश्वसनीय इत्तिला प्राप्त हो चुकी है या उचित सन्देह विद्यमान है कि वह ऐसे सम्बद्ध रह चुका है; अथवा
(i) झ) जो छोडा गया सिद्धदोष होते हुए धारा ३९४ की उपधारा (५) के अधीन बनाए गए किसी नियम को भंग करता है; अथवा
(j) ञ) जिसकी गिरफ्तारी के लिए किसी अन्य पुलिस अधिकारी से लिखित या मौखिक अध्यपेक्षा प्राप्त हो चुकी है, परन्तु यह तब जब कि अध्यपेक्षा में उस व्यक्ति का, जिसे गिरफ्तार किया जाना है, और उस अपराध का या अन्य कारण का, जिसके लिए गिरफ्तारी की जानी है, विनिर्देश है और उससे यह दर्शित होता है कि अध्यपेक्षा जारी करने वाले अधिकारी द्वारा वारण्ट के बिना यह व्यक्ति विधिपूर्वक गिरफ्तार किया जा सकता ता ।
२) धारा ३९ के उपबंधो के अध्यधीन, कोई व्यक्ती जो किसी असंज्ञेय अपराध से संबंधित है या जिसके विरुद्ध परिवाद किया गया है या विश्वसनीय सूचना प्राप्त हुई है या इस प्रकार उसके संबंधित होने का युक्तियुक्त (उचित) संदेह विद्यमान है, उसको मजिस्ट्रेट के वारंट या आदेश के सिवाय गिरफ्तार नहीं किया जाएगा ।
३) उन सभी मामलों में जहाँ उपधारा (१) के अधीन किसी व्यक्ती की गिरफ्तारी अपेक्षित नहीं है, पुलिस अधिकारी,उस व्यक्ति जिसके विरुद्ध युक्तियुक्त (उचित) परिवाद किया गया है या विश्वसनीय सूचना प्राप्त हुई है या युक्तियुक्त सन्देह विद्यमान है कि उसने संज्ञेय अपराध कारित किया है, उसको अपने समक्ष या ऐसे अन्य स्थान पर जैसा कि नोटिस में विनिर्दिष्ट किया जाए, उपसंजात होने का निर्देश देने वाला नोटिस जारी करेगा ।
४) जहाँ ऐसा नोटिस किसी व्यक्ति को जारी किया जाता है तब उस व्यक्ति का यह कर्तव्य होगा कि वह नोटिस के निबन्धनों का अनुपालन करे ।
५) जहाँ ऐसा व्यक्ति नोटिस का अनुपालन करता है या नोटिस का अनुपालन करना जारी रखता है, नोटिस में निर्दिष्ट अपराध के सम्बन्ध में उसको तब तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, जब तक अभिलिखित लेखबद्ध किए जाने वाले कारणों से, पलिस अधिकारी यह राय न हो कि उसे गिरफ्तार किया जाना चाहिए ।
६) जहाँ ऐसा व्यक्ति, किसी समय, नोटिस के निबन्धनों का अनुपालन करने में असफल रहता है या स्वयं की पहचान कराने का अनिच्छुक हो, तब पुलिस अधिकारी, ऐसे आदेशों के अध्यधीन रहते हुए जो इस निमित्त सक्षम न्यायालय द्वारा पारित किये जाएँ, नोटिस में उल्लिखित अपराध के लिए उसे गिरफ्तार कर सकेगा ।
७) कोई भी गिरफ्तारी, ऐसे अपराध के मामले में जो तीन वर्ष से कम के कारावास से दंडनीय है और ऐसा व्यक्ति जो गंभीर बीमारी से पीडित हो या साठ वर्ष से अधिक की उम्र का हो, ऐसे अधिकारी की जो पुलिस उपअधिक्षक से नीचे की पंक्ति का न हो, की पूर्व अनुमति के बिना नहीं की जाएगी ।