भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ३५२ :
मौखिक बहस और बहस का ज्ञापन :
१) कार्यवाही का कोई पक्षकार, अपने साक्ष्य की समाप्ति के पश्चात् यथाशक्य शीघ्र संक्षिप्त मौखिक बहस कर सकता है और अपनी मौखिक बहस, यदि कोई हो, पूरी करने के पूर्व, न्यायालय को एक ज्ञापन दे सकता है जिसमें उसके पक्ष के समर्थन में तर्क संक्षेप में और सुभिन्न शीर्षकों में दिए जाएँगे, और ऐसा प्रत्येक ज्ञापन अभिलेख का भाग होगा ।
२) ऐसे प्रत्येक ज्ञापन की एक प्रतिलिपि उसी समय विरोधी पक्षकार को दी जाएगी ।
३) कार्यवाही का कोई स्थगन लिखित बहस फाइल करने के प्रयोजन के लिए तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक न्यायालय ऐसे कारणों से, जो लेखबद्ध किए जाएँगे, ऐसा स्थगन मंजूर करना आवश्यक न समझे ।
४) यदि न्यायालय की यह राय है कि मौखिक बहस संक्षिप्त या सुसंगत नहीं है तो वह ऐसी बहसों को विनियमित कर सकता है ।