भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ३४ :
ग्राम के मामलों के सम्बन्ध में नियोजित अधिकारियों के कतिपय (निश्चित:/कुछ) रिपोर्ट करने का कर्तव्य :
१) किसी ग्राम के मामलों के सम्बन्ध में नियोजित प्रत्येक अधिकारी और ग्राम में निवास करने वाला प्रत्येक व्यक्ति, निकटतम, मजिस्ट्रेट को या निकटतम पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को, जो भी निकटतम हो, कोई भी जानकारी जो उसके पास निम्नलिखित के बारे में हो, तत्काल संसूचित करेगा :-
(a) क) ऐसे ग्राम में या ऐसे ग्राम के पास किसी ऐसे व्यक्ति का, जो चुराई हुई सम्पत्ति का कुख्यात प्रापक या विक्रेता है, स्थायी या अस्थायी निवास;
(b) ख) किसी व्यक्ति का, जिसका वह लुटेरा, निकल भागा सिद्धदोष या उद्घोषित अपराधी होना जानता है या जिसके ऐसा होने का उचित रुप से सन्देह करता है, ऐसे ग्राम के किसी भी स्थान में आना-जाना या उसमें से होकर जाना;
(c) ग) ऐसे ग्राम में या उसके निकट कोर्स अजमानतीय अपराध या भारतीय न्याय संहिता २०२३ की धारा १८९ या धारा १९१ के अधीन दण्डनीय कोई अपराद किया जाना या करने का आशय;
(d) घ) ऐसे ग्राम में या उसके निकट कोई आकस्मिक या अप्राकृतिक मृत्यु होना, या सन्देहजनक परिस्थितियों में कोई मृत्यु होना, या ऐसे ग्राम में या उसके निकट किसी शव का, या शव के अंग का ऐसी परिस्थितियों में, जिनसे उचित रुप से सन्देह पैदा होता है कि ऐसी मृत्यु हुई, पाया जाना, या ऐसे ग्राम से किसी व्यक्ती का गायब हो जाना, ऐसी परिस्थितियों में जिनसे उचित रुप से सन्देह पैदा होता है कि ऐसे व्यक्ती के सम्बन्ध में अजमानतीय अपराध किया गया है;
(e) ङ) ऐसे ग्राम के निकट, भारत के बाहर किसी स्थान में ऐसा कोई कार्य किया जाना या करने का आशय जो यदि भारत में किया जाता तो भारतीय न्याय संहिता २०२३ की धारा १०३, धारा १०५, धारा १११, धारा ११२, धारा ११३, धारा १७८ से धारा १८१ (दोनों सहित), धारा ३०५, धारा ३०७, धारा ३०९ से धारा ३१२ (दोनों सहित), धारा ३२६ के खंड (च) (f)और खंड (छ) (g), धारा ३३१ या धारा ३३२ से किसी के अधीन दंडनीय अपराध होता;
(f) च) व्यवस्था बनाए रखने या अपराध के निवारण अथवा व्यक्ति या सम्पत्ति के क्षेम पर संभाव्यत: प्रभाव डालने वाला कोई विषय जिसके सम्बन्ध में जिला मजिस्ट्रेट ने राज्य सरकार की पूर्व मंजूरी से किए गए साधारण या विशेष आदेश द्वारा उसे निदेश दिया है कि वह उस विषय पर जानकारी संसूचित करे ।
२) इस धारा में-
एक)ग्राम के अन्तर्गत ग्राम-भूमियाँ भी है ;
दो) उद्घोषित अपराधी पद के अन्तर्गत ऐसा व्यक्ती भी है जिसे भारत के किसी ऐसे राज्यक्षेत्र में जिस पर इस संहिता का विस्तार नहीं है किसी न्यायालय या प्राधिकारी ने किसी ऐसे कार्य के बारे में, अपरादी उद्घोषित किया है जो यदि उन राज्यक्षेत्रों में, जिन पर इस संहिता का विस्तार है, किया जाता तो भारतीय न्याय संहिता २०२३ के अधीन दस वर्ष या उससे अधीक के कारावास या आजीवन कारावास या मृत्यु से दंडनीय अपराध होता;
तीन) ग्राम के मामलों के सम्बन्ध में नियोजित प्रत्येक अधिकारी शब्दों से ग्राम पंचायत का कोई सदस्य अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत ग्रामीण और प्रत्येक ऐसा अधिकारी या अन्य व्यक्ति भी है जो ग्राम के प्रशासन के सम्बन्ध में किसी कृत्य का पालन करने के लिए नियुक्त किया गया है ।