भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ३४३ :
सह-अपराधी को क्षमा दान :
१) किसी ऐसे अपराध से,जिसे यह धारा लागू होती है, प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप में संबद्ध या संसर्गित समझे जाने वाले किसी व्यक्ति का साक्ष्य अभिप्राप्त करने की दृष्टि से, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अपराध के अन्वेषण या जाँच या विचारण के किसी प्रक्रम में और अपराध की जाँच या विचारण करने वाला प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट जाँच या विचारण के किसी प्रक्रम में उस व्यक्ति को इस शर्त पर क्षमा-दान कर सकता है कि वह अपराध के संबंध में और उसके किए जाने में चाहे कर्ता या दुष्प्रेरक के रुप में संबद्ध प्रत्येक अन्य व्यक्ति के संबंध में सब परिस्थितियों का, जिनकी उसे जानकारी हो, पूर्ण और सत्य प्रकट न कर दे ।
२) यह धारा निम्नलिखित को लागू होती है –
(a) क) अनन्यत: सेशन न्यायालय द्वारा या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन नियुक्त विशेष न्यायाधीश के न्यायालय द्वारा विचारणीय कोई अपराध;
(b) ख)ऐसे कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो या अधिक कठोर दण्ड से दण्डनीय कोई अपराध ।
३) प्रत्येक मजिस्ट्रेट, जो उपधारा (१) के अधीन क्षमा-दान करता है –
(a) क) ऐसा करने के अपने कारणों को अभिलिखित करेगा;
(b) ख) यह अभिलिखित करेगा कि क्षमा-दान उस व्यक्ति द्वारा, जिसको कि वह किया गया था स्वीकार कर लिया गया था या नहीं,
और अभियुक्त द्वारा आवेदन किए जाने पर उसे ऐसे अभिलेख की प्रतिलिपि नि:शुल्क देगा ।
४) उपधारा (१) के अधीन क्षमा-दान स्वीकार करने वाले –
(a) क) प्रत्येक व्यक्ति की अपराध का संज्ञान करने वाले मजिस्ट्रेट के न्यायालय में और पश्चातवर्ती विचारण में यदि कोई हो, साक्षी के रुप में परीक्षा की जाएगी;
(b) ख) प्रत्येक व्यक्ति को, जब तक कि वह पहले से ही जमानत पर न हो, विचारण खत्म होने तक अभिरक्षा में निरुद्ध रखा जाएगा ।
५) जहाँ किसी व्यक्ति ने उपधारा (१) के अधीन किया गया क्षमा-दान स्वीकार कर लिया है और उसकी उपधारा (४) के अधीन परीक्षा की जा चुकी है, वहाँ अपराध का संज्ञान करने वाला मजिस्ट्रेट, मामले में कोई अतिरिक्त जाँच किए बिना-
(a) क) मामलों को –
एक) यदि अपराध अनन्यत: सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है या यदि संज्ञान करने वाला मजिस्ट्रेट मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट है तो, उस न्यायालय को सुपुर्द कर देगा;
दो) यदि अपराध अनन्यत: तत्समय प्रवृत्त अन्य विधि के अधीन नियुक्त विशेष न्यायाधीश के न्यायालय द्वारा विचारणीय है तो उस न्यायालय को सुपुर्द कर देगा;
(b) ख)किसी अन्य दशा में, मामला मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के हवाले करेगा जो उसका विचारण स्वयं करेगा ।