Bnss धारा ३४२ : प्रक्रिया, जब निगम या रजिस्ट्रीकृत सोसायटी अभियुक्त है :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा ३४२ :
प्रक्रिया, जब निगम या रजिस्ट्रीकृत सोसायटी अभियुक्त है :
१) इस धारा में निगम से कोई निगमित कंपनी या अन्य निगमित निकाय अभिप्रेत है, और इसके अन्तर्गत सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, १८६० (१८६० का २१) के अधीन रजिस्ट्रीकृत सोसायटी भी है ।
२) जहाँ कोई निगम किसी जाँच या विचारण में अभियुक्त व्यक्ति या अभियुक्त व्यक्तियों में से एक है वहाँ वह ऐसी जाँच या विचारण के प्रयोजनार्थ एक प्रतिनिधि नियुक्त कर सकता है और ऐसी नियुक्ती निगम की मुद्रा के अधीन करना आवश्यक नहीं होगा ।
३) जहाँ निगम का कोई प्रतिनिधि हाजिर होता है, वहाँ इस संहिता की इस अपेक्षा का कि कोई बात अभियुक्त की हाजिरी में की जाएगी या अभियुक्त को पढकर सुनाई जाएगी या बताई जाएगी या समझाई जाएगी, इस अपेक्षा के रुप में अर्थ लगाया जाएगा कि वह बात प्रतिनिधि की हाजिरी में की जाएगी, प्रतिनिधि को पढकर सुनाई जाएगी या बताइ जाएगी या समझाई जाएगी और किसी ऐसी अपेक्षा का कि अभियुक्त की परीक्षा की जाएगी, इस अपेक्षा के रुप में अर्थ लगाया जाएगा कि प्रतिनिधि की परिक्षा की जाएगी ।
४) जहाँ निगम का कोई प्रतिनिधि हाजिर नहीं होता है, वहाँ कोई ऐसी अपेक्षा, जो उपधारा (३) में निर्दिष्ट है, लागू नहीं होगी ।
५) जहाँ निगम के प्रबंध निदेशक द्वारा या उसके द्वारा विधिवत अधिकृत किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा (वह चाहे नाम से पुकारा जाताा हो) जो निगम के कार्यकलाप का प्रबंध करता है या प्रबंध करने वाले व्यक्तियों में से एक है, हस्ताक्षर किया गया तात्पर्यित इस भाव का लिखित कथन फाईल किया जाता है कि कथन में नामित व्यक्ति को इस धारा के प्रयोजनों के लिए निगम के प्रतिनिधि के रुप में नियुक्त किया गया है, वहाँ न्यायालय, जब तक इसके प्रतिकूल साबित नहीं किया जाता है, यह उपधारणा करेगा कि ऐसा व्यक्ति इस प्रकार नियुक्त किया गया है ।
६) यदि यह प्रश्न उठता है कि न्यायालय के समक्ष किसी जाँच या विचारण में निगम के प्रतिनिधि के रुप में हाजिर होने वाला कोई व्यक्ति ऐसा प्रतिनिधि है या नहीं, तो उस प्रश्न का अवधारण न्यायालय द्वारा किया जाएगा ।

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