भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा २६३ :
आरोप विरचित करना :
१) यदि ऐसे विचार, परिक्षा, यदि कोई हो, और सुनवाई कर लेने पर मजिस्ट्रेट की यह राय है कि ऐसी उपधारणा करने का आधार है कि अभियुक्त ने इस अध्याय के अधीन विचारणीय ऐसा अपराध किया है जिसका विचारण करने के लिए वह मजिस्ट्रेट सक्षम और जो उसकी राय में उसके द्वारा पर्याप्त रुप से दंडित किया जा सकता है तो वह अभियुक्त के विरुद्ध आरोप की पहली सुनवाई की तारीख से साठ दिन की अवधि के भीतर लिखित रुप में विरचित करेगा ।
२) तब वह आरोप अभियुक्त को पढकर सुनाया और समझाया जाएगा और उससे यह पुछा जाएगा कि क्या वह उस अपराध का, जिसका आरोप लगाया गया है दोषी होने का अभिवाक् करता है या विचारण किए जाने का दावा करता है ।