भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा २५६ :
प्ररिरक्षा (बचाव) आरंभ करना :
१) जहाँ अभियुक्त धारा २५५ के अधीन दोषमुक्त नहीं किया जाता है वहाँ उससे अपेक्षा की जाएगी कि अपनी प्रतिरक्षा आरंभ करे और कोई भी साक्ष्य जो उसके समर्थन में उसके पास हो पेश करे ।
२) यदि अभियुक्त कोई लिखित कथन देता है तो न्यायाधीश उसे अभिलेख में फाइल करेगा ।
३) यदि अभियुक्त किसी साक्षी का हाजिर होने या कोई दस्तावेज या चीज पेश करने को विवश करने के लिए कोई आदेशिका जारी करने के लिए आवेदन करता है तो न्यायाधीश ऐसी आदेशिका जारी करेगा जब तक उसका ऐसे कारणों से, जो लेखबद्ध किए जाएँगे, यह विचार न हो कि आवेदन इस आधार पर नामंजूर कर दिया जाना चाहिए कि वह तंग करने या विलंब करने या न्याय के उद्देश्यों का विफल करने के प्रयोजन से किय गया है ।