भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा २४७ :
कई आरोपों में से एक के लिए दोषसिद्ध पर शेष आरोपों का वापस लेना :
जब एक ही व्यक्ति के विरुद्ध ऐसा आरोप विरचित किया जाता है जिसमें एक से अधिक शीर्ष है और जब उनमें से एक या अधिक के लिए , दोषसिद्धि कर दी जाती है तब परिवादी, या अभियोजन संचालन करेन वाला अधिकारी न्यायालय की सम्मति से शेष आरोप या आरोंपों को वापस ले सकता है अथवा न्यायालय ऐसे आरोप या आरोपों की जाँच या विचारण स्वप्रेरणा से रोक सकता है और ऐसे वापस लेने का प्रभाव ऐसे आरोप या आरोपों से दोषमुक्ति होगा; किन्तु यदि दोषसिद्धी अपास्त कर दी जाती है तो उक्त न्यायालय (दोषसिद्धी अपास्त करने वाले न्यायालय के आदेश के अधीन रहते हुए) ऐसे वापस लिए गए आरोप या आरोपों की जाँच या विचारण में आगे कार्यवाही कर सकता है ।