भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा १८५ :
पुलिस अधिकारी द्वारा तलाशी :
१) जब कभी पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी या अन्वेषण करने वाले पुलिस अधिकारी के पास यह विश्वास करने के उचित आधार है कि किसी ऐसे अपराध के अन्वेषण के प्रयोजनों के लिए, जिसका अन्वेषण करने के लिए वह प्राधिकृत है, आवश्यक कोई चीज उस पुलिस थाने की, जिसका वह भारसाधक है या जिससे वह संलग्न है, सीमाओं के अन्दर किसी स्थान में पाई जा सकती है और उसकी राय में ऐसी चीज अनुचित विलम्ब के बिना तलाशी से अन्यथा अभिप्राप्त नहीं की जा सकती, तब ऐसा अधिकारी केस डायरी में अपने विश्वास के आधारों को लेखबद्ध करने, और यथासंभव उस चीज को, जिसके लिए तलाशी ली जानी है, ऐसे लेख में विनिर्दिष्ट करने के पश्चात् उस थाने की सीमाओं के अन्दर किसी स्थान में ऐसी चीज के लिए तलाशी ले सकता है या तलाशी लिवा सकता है ।
२) उपधारा (१) के अधीन कार्यवाही करने वाला पुलिस अधिकारी, यदि साध्य है तो, तलाशी स्वयं लेगा :
परन्तु इस धारा के अधीन संचालित की गई तलाशी अधिमानतया: सेलफोन श्रव्य-दृश्य इलैक्ट्रॉनिक साधनों के माध्यम से अभिलिखित की जा सकेगी ।
३) यदि वह तलाशी स्वयं लेने में असमर्थ है और कोई अन्य ऐसा व्यक्ति, जो तलाशी लेने के लिए सक्षम है, उस समय उपस्थित नहीं है तो वह ऐसा करने के अपने कारणों को लेखबद्ध करने के पश्चात्, अपने अधीनस्थ किसी अधिकारी से अपेक्षा कर सकता है कि वह तलाशी ले और ऐसे अधीनस्थ अधिकारी को ऐसा लिखित आदेश देगा जिसमें उस स्थान को जिसकी तलाशी ली जानी है, और यथासंभव उस चीज को, जिसके लिए तलाशी ली जानी है, विनिर्दिष्ट किया जाएगा और तब ऐसा अधीनस्त अधिकारी उस चीज के लिए तलाशी उस स्थान में ले सकेगा ।
४) तलाशी वारण्टों के बारे में इस संहिता के उपबंध और तलाशियों के बारे में धारा १०३ के साधारण उपबंध इस धारा के अधीन लि जाने वाली तलाशी को, जहाँ तक हो सके, लागू होंगे ।
५) उपधारा (१) या उपधारा (३) के अधीन बनाए गए किसी भी अभिलेख की प्रतियाँ तत्काल किन्तु अडतालीस घंटो के पश्चात् न हो, ऐसे निकटतम मजिस्ट्रेट के पास भेज दी जाएगी, जो उस अपराध का संज्ञान करने के लिए सशक्त है और जिस स्थान की तलाशी ली गई है, उसके स्वामी या अधिभोगी को, उसके आवेदन पर, उसकी एक प्रतिलिपि मजिस्ट्रेट द्वारा नि:शुल्क दी जाएगी ।