Bnss धारा १६५ : विवाद की विषयवस्तु की कुर्क करने की और रिसीवर नियुक्त करने की शक्ति :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
धारा १६५ :
विवाद की विषयवस्तु की कुर्क करने की और रिसीवर नियुक्त करने की शक्ति :
१) यदि धारा १६४ की उपधारा (१) के अधीन आदेश करने के पश्चात् किसी समय मजिस्ट्रेट मामले को आपातिक समझता है अथवा यदि वह विनिश्चय करतो है कि पक्षकारों में से किसी का धारा १६४ में यथानिर्दिष्ट कब्जा उस समय नहीं था, अथवा यदि वह अपना समाधान नहीं कर पाता है कि उस समय उनमें से किसका ऐसा कब्जा विवाद की विषयवस्तु पर था तो वह विवाद की विषयवस्तु को तब तक के लिए कुर्क कर सकता है जब तक कोइ सक्षम न्यायालय उसके कब्जे का हकदार व्यक्ति होने के बारे में उसके पक्षकारों के अधिकारों का अवधारा नहीं कर देता है :
परन्तु यदि ऐसे मजिस्ट्रेट का समाधान हो जाता है कि विवाद की विषयवस्तु के बारे में परिशांति भंग होने की कोई संभाव्यता नहीं रही तो वह किसी समय भी कुर्की वापस ले सकता है ।
२) जब मजिस्ट्रेट विवाद की विषयवस्तु को कुर्क करता है तब यदि ऐसी विवाद की विषयवस्तु के संबंध में कोई रिसीवर किसी सिविल न्यायालय द्वारा नियुक्त नहीं किया गया है तो, वह उसके लिए ऐसा इंतजाम कर सकता है जो वह उस संपत्ति की देखभाल के लिए उचित समझता है अथवा यदि वह ठीक समझता है तो, उसके लिए रिसीवर नियुक्त कर सकता है जिसको मजिस्ट्रेट के नियंत्रण के अधीन रहते हुए वे सब शक्तियाँ प्राप्त होंगी जो सिविल प्रक्रिया संहिता, १९०८ (१९०८ का ५) के अधीन रिसीवर की होती है :
परन्तु यदि विवाद की विषयवस्तु के संबंध में कोई रिसीवर किसी सिविल न्यायालय द्वारा बाद में नियुक्त कर दिया जाता है तो मजिस्ट्रेट :-
(a) क) अपने द्वारा नियुक्त रिसीवर को आदेश देगा कि वह विवाद विषयवस्तु का कब्जा सिविल न्यायालय द्वारा नियुक्त रिसीवर को दे दे और तत्पश्चात् वह अपने द्वारा नियुक्त रिसीवर को उन्मोचित कर देगा ;
(b) ख) ऐसे अन्य आनुषांगिक या परिणामिक आदेश कर सकेगा जो न्यायसंगत है ।

Leave a Reply