भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३
अध्याय ८ :
कुछ मामलों में सहायता के लिए व्यतिकारी (पारस्पारिक / आपसी) व्यवस्था तथा संपत्ति की कुर्की और समपहरण के लिए प्रक्रिया :
धारा १११ :
परिभाषाएँ :
इस अध्याय में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो :-
(a) क) संविदाकारी राज्य :
संविदाकारी राज्य से भारत के बाहर कोई देश या स्थान अभिप्रेत है जिसके सम्बन्ध में केन्द्रीय सरकार द्वारा संधि के माध्यम से या अन्यथा ऐसे देश की सरकार के साथ कोई व्यवस्था की गई है;
(b) ख) पहचान करना :
पहचान करना के अन्तर्गत यह सबूत स्थापित करना है कि संपत्ति किसी अपराध के किए जाने से व्युत्पन्न हुई है या उसमें उपयोक की गई है ;
(c) ग) अपराध के आगम (प्राप्ती) :
अपराध के आगम से आपराधिक क्रियाकलापों के (जिनके अन्तर्गत मुद्रा अन्तरणों को अंतर्वलित करने वाले अपराध है ) परिणाम स्वरुप किसी व्यक्ती द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से व्युत्पन्न या अभिप्राप्त कोई संपत्ति या ऐसी किसी संपत्ति का मूल्य अभिप्रेत है;
(d) घ) संपत्ति :
संपत्ति से भौतिक या अभौतिक, जंगम या स्थावर, मूर्त या अमूर्त हर प्रकार की संपत्ति और आस्ति (परिसंपत्ति) तथा ऐसी संपत्ति या आस्ति में हक या हित को साक्ष्यित करने वाला विलेख और लिखित अभिप्रेत है जो किसी अपराध के किए जाने से व्युत्पन्न होती है या उसमें उपयोग की जाती है और इसके अन्तर्गत अपराध के आगम के माध्यम से अभिप्राप्त संपत्ति है;
(e) ङ) पता लगाना :
पता लगाना से किसी संपत्ति की प्रकृति, उसका स्त्रोत, व्ययन, संचलन, हक या स्वामित्व का अवधारण करना अभिप्रेत है ।