भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा २७६ :
औषधियों का अपमिश्रण (मिलावट) :
धारा : २७६
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : विक्रय के लिए आशयित किसी ओषधि या भेषजीय निर्मिति का ऐसा अपमिश्रण जिससे उसकी प्रभावकारिता कम हो जाए या उसकी क्रिया बदल जाए या वह अपायकर हो जाए ।
दण्ड : एक वर्ष के लिए कारावास, या पांच हजार रुपए का जुर्माना, या दोनों।
संज्ञेय या असंज्ञेय : असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी औषधि या भेषजीय (चिकित्सीय / आयुर्विज्ञान/ औषधिय) निर्मिति में अपमिश्रण (मिलावट) इस आशय से कि या यह संभाव्य जानते हुए कि वह किसी औषधीय प्रयोजन के लिए ऐसे बेची जाएगी या उपयोग की जाएगी, मानो उसमें ऐंसा अपमिश्रण (मिलावट) न हुआ हो, ऐसे प्रकार से करेगा कि उसे औषधि या भेषजीय (चिकित्सीय / आयुर्विज्ञान/ औषधिय) निर्मिति की प्रभावकारिता कम हो जाए, क्रिया बदल जाए या वह अपायकारक हो जाए, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पाच हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से दण्डित किया जाएगा ।