भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा ४० :
शरीर की निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना :
शरीर की निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा का अधिकार उसी क्षण प्रारंभ (शुरु) हो जाता है, जब अपराध करने के प्रयत्न या धमकीं से शरीर के संकट की आशंका पैदा होताी है, चाहे वह अपराध किया न गया हो और वह तब तक बना रहता है जब तक शरीर के संकट की ऐसी आशंका बनी रहती है ।
Pingback: Ipc धारा १०२ : शरीर की निजी (प्राइवेट) प्रतिरक्षा के अधिकार