भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा ३४० :
कूटरचित दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख और इसे असली के रुप में उपयोग में लाना :
धारा : ३४० (२)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : कूटरचित दस्तावेज को, जिसके बारे में ज्ञात है कि वह कूटरचित है, असली के रुप में उपयोग में लाना ।
दण्ड : ऐसी दस्तावेज की कूटरचना के लिए दण्ड ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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१) वह मिथ्या दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख, जो पूर्णत: या भागत: कूटरचना द्वारा रची गई है, कूटरचित दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख कहलाती है ।
२) जो कोई किसी ऐसी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख को, जिसके बारे में वह यह जानता या विश्वास करने का कारण रखता हो कि वह कूटरचित दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख है, कपटपूर्वक या बेईमानी से असली के रुप में उपयोग में लाएगा, वह उसी प्रकार दण्डित किया जाएगा, मानो उसने ऐसी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेक की कूटरचना की हो ।