भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा ३० :
किसी व्यक्ति के फायदे के लिए सम्मति के बिना सद्भावपूर्वक किया गया कार्य :
कोई बात या कार्य, जो किसी व्यक्ति के फायदे के लिए सद्भावपूर्वक उसकी सम्मति के बिना की गई है, ऐसी किसी अपहानि के कारण, जो उस बात से उस व्यक्ति को कारित हो जाए, अपराध नहीं है, यदि परिस्थितियां ऐसी हो कि उस व्यक्ति के लिए अपनी सम्मति प्रकट करे यह असंभव हो या वह व्यक्ति सम्मति देने के लिए असमर्थ हो और उसका कोई संरक्षक या उसका विधिपूर्ण भारसाधक कोई दुसरा व्यक्ति न हो जिससे ऐसे समय पर सम्मति अभिप्राप्त करना संभव हो कि वह बात फायदे के साथ कि जा सके :
परन्तु इस अपवाद का विस्तार,
(a) क) साशय मृत्यू कारित करने या मृत्यूकारित करने का प्रयत्न करने पर न होगा ;
(b) ख) मृत्यू या घोर उपहति के निवारण के या किसी घोर रोग या अंगशैथिल्य से मुक्त करने के प्रयोजन से भिन्न किसी प्रयोजन के लिए किसी ऐसी बात के करने पर न होगा, जिसे करने वाला व्यक्ती जानता हो कि उससे मृत्यू कारित होना संभाव्य है ;
(c) ग) मृत्यू या उपहति के निवारण के प्रयोजन से भिन्न किसी प्रयोजन के लिए स्वेच्छया उपहति कारित करने या प्रयत्न करने पर न होगा ;
(d) घ) किसी ऐसे अपराध के दुष्प्रेरण पर न होगा जिस अपराध के किए जाने पर इसका विस्तार नहीं है ।
दृष्टांत :
१) (य) अपने घोडे से गिर गया और मूर्छित हो गया । (क) एक शल्यचिकित्सक का यह विचार है कि (य) के कपाल पर शल्यक्रिया आवश्यक है । (क), (य) की मृत्यु करने का आशय न रखते हुए, किंतु सद्भावपूर्वक (य) के फायदे के लिए, (य) के स्वयं किसी निर्णय पर पहुंचने की शक्ति प्राप्त करने से पूर्व ही कपाल पर शल्यक्रिया करता है । (क) ने कोई अपराध नहीं किया ।
२) (य) को एक बाघ उठा ले जाता है । यह जानते हुए कि संभावव्य है कि गोली लगने से (य) मर जाए, किंतु (य) का वध करने का आशय न रखते हुए और सद्भावपूर्वक (य) के फायदे के आशय से (क) उस बाघ पर गोली चलाता है । (क) की गोली से (य) को मृत्युकारक घाव हो जाता है । (क) ने कोई अपराध नहीं किया ।
३) (क) एक शल्यचिकित्सक, यह देखता है कि एक शिशु की ऐसी दुर्घटना हो गई है जिसका प्राणांतक साबित होना संभाव्य है, यदि शस्त्रकर्म तुरंत न कर दिया जाए । इतना समय नहीं है कि उस शिशु के संरक्षक से आवेदन किया जा सके । (क) सद्भावपूर्वक शिशु के फायदे का आशय रखते हुए शिशु के अन्यथा करने पर भी शस्त्रकर्म करता है । (क) ने कोई अपराध नहीं किया ।
४) एक शिशु (य) के साथ (क) एक जलते हुए गृह में है । गृह के नीचे लोग एक कंबल तान लेते है । (क) उस शिशु को यह जानते हुए कि संभाव्य है कि गिरने से वह शिशु मर जाए किंतु उस शिशु को मार डालने का आशय न रखते हुए और सद्भावपूर्वक उस शिशु के फायदे के आशय से गृह छत पर से नीचे गिरा देता है । यहां, यदि गिरने से वह शिशु मर भी जाता है, तो भी (क) ने कोई अपराध नहीं किया ।
स्पष्टीकरण :
केवल धन संबंधी फायदा नहीं है, जो धारा २६, २७ और इस धारा के अर्थान्तर्गत आता है ।
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