Bns 2023 धारा ३०३ : चोरी :

भारतीय न्याय संहिता २०२३
अध्याय १७ :
सम्पत्ति के चोरी के विरुद्ध अपराधों के विषय में :
धारा ३०३ :
चोरी :
धारा : ३०३ (२)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : चोरी ।
दण्ड : कठोर कारावास से जिसकी अवधि एक वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु पांच वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : चुराई हुई संपत्ति का स्वामी ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : कोई मजिस्ट्रेट ।
———
अपराध : उन मामलों में जहां चोरी की गई संपत्ति का मूल्य पांच हजार रुपए से कम है।
दण्ड : चोरी की गई संपत्ति वापस करने पर या संपत्ति को प्रत्यावर्तित करने पर उसे सामुदायिक सेवा से दन्डित किया जाएगा ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : चुराई हुई संपत्ति का स्वामी ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : कोई मजिस्ट्रेट ।
———
१) जो कोई किसी व्यक्ती के कब्जे में से, उस व्यक्ती की सम्मति के बिना, कोई जंगम संपत्ति बेईमानी से ले लेने के आशय रखते हुए, वह संपत्ति ऐसे लेने के लिए हटाता है, वह चोरी करता है, यह कहा जाता है ।
स्पष्टीकरण १ :
जब तक कोइ वस्तु भूबद्ध रहती है, जंगम संपत्ति न होने से चोरी का विषय नहीं होती; किन्तु जो वह भूमि से पृथक की जाती है, वह चोरी का विषय होने योग्य हो जाती है ।
स्पष्टीकरण २ :
हटाना, जो उसी कार्य द्वारा किया गया है जिससे पृथक्करण किया गया है, चोरी हो सेकगा ।
स्पष्टीकरण ३ :
कोई व्यक्ती किसी चीज का हटाना कारित करता है, यह कहा जाता है जब वह उस बाधा को हटाता है, जो उस चीज को हटाने से रोके हुए हो या जब वह उस चीज को किसी दुसरी चीज से पृथक् करता है तथा जब वह वास्तव में उसे हटाता है ।
स्पष्टीकरण ४ :
कोई व्यक्ती जो किसी साधन द्वारा किसी जीवजन्तु (पशु) का हटाना कारित करता है, उस जीवजन्तु (पशू) को हटाता है, यह कहा जाता है; और यह कहा जाता है कि वह एसी हर एक चीज को हटाता है जो इस प्रकार उत्पन्न की गई गति के परिणामस्वरुप उस जीवजन्तु (पशु) द्वारा हटाई जाती है ।
स्पष्टीकरण ५ :
इस धारा में वर्णित सम्मति अभिव्यक्त या विवक्षित हो सकती है, और वह या तो कब्जा रखने वाले व्यक्ती द्वारा, या किसी ऐसे व्यक्ती द्वारा, जो उस प्रयोजन के लिए अभिव्यक्त या विवक्षित प्राधिकार रखता है, दी जा सकती है ।
दृष्टांत :
क) (य) की सम्मति के बिना (य) के कब्जे में से एक वृक्ष बेइमानी से लेने के आशय से (य) की भूमि पर लगे हुए उस वृक्ष को (क) काट डालता है । यहां, ज्योंहि (क) ने इस प्रकार लेने के लिए उस वृ्नक्ष को पृथक् किया, उसने चोरी की ।
ख) (क) अ्रपनी जेब में कुत्तों के लिए ललचाने ववाली वस्तु रखता है, और इस प्रकार (य) के कुत्तों को अपने पीछे चलने के लिए उत्प्रेरित करता है । यहां, यदि (क) का आशय (य) की सम्मति के बिना (य) के कब्जे में से उस कुत्ते को बेइमानी से लेना हो, तो ज्योंही (य) के कुत्ते (क) के पीछे चलना प्रारंभ किया, (क) ने चोरी की ।
ग) मूल्यवान वस्तु की पेटी ले जाते हुए एक बैल (क) को मिलता है । वह उस बैल को इसलिए एक खास दिशा में हांकता है कि वे मूल्यवान वस्तूएं बेइमानी से ले सके । ज्योंही उस बैल ने गतिमान होना प्रारम्भ किया, (क) ने मूल्यवान वस्तुएं चोरी की ।
घ) (क) जो (य) का सेवक है जिसे (य) ने अपनी प्लेट की देखरेख न्यस्त कर दी है, (य) की सम्मति के बिना प्लेट को लेकर बेईमानी से भाग गया । (क) ने चोरी की ।
ङ) (य) यात्रा को जाते समय अपनी प्लेट लौटकर आने तक, (क) को, जो एक भाण्डागारिक है, न्यस्त कर देता है । (क) उस प्लेट को एक सुनार के पास ले जाता है और वह प्लेट बेच देता है । यहां वह प्लेट (य) के कब्जे में नहीं थी, इसलिए वह (य) के कब्जे में से नहीं ली जा सकती थी और (क) ने चोरी नहीं की है, चाहे उसने आपराधिक न्यासभंग किया हो ।
च) जिस गृह पर (य) का अधिभोग है उसके मेज पर (य) की अंगूठी (क) को मिलती है । यहां, वह अंगूठी (य) के कब्जे में है, और यदि (क) उसको बेईमानी से हटाता है, तो वह चोरी करता है ।
छ) (क) को राजमार्ग पर पडी हुई अंगूठी मिलती है, जो किसी व्यक्ति के कब्जे में नहीं है । (क) ने उसके ले लेने से चोरी नहीं की है, भले ही उसने संपत्ति का आपराधिक दुर्विनियोग किया हो ।
ज) (य) के घर में मेज पर पडी हुई (य) की अंगूठी (क) देखता है । तलाशी और पता लगाने के भय से उस अंगूठी का तुरंत दुर्विनियोग करने का साहस न करते हुए (क) उस अंगूठी को ऐसे स्थान पर, जहां से उसका (य) को कभी भी मिलना अति अनधिसम्भाव्य है, इस आशय से छिपा देता है कि छिपाने के स्थान से उसे समय ले ले और बेच दे जबकि उसका खोया जाना याद न रहे । यहां, (क) ने उस अंगूठी को प्रथम बार हटाते समय चोरी की है ।
झ) (य) को, जो एक जौहरी है, (क) अपनी घडी समय ठीक करने के लिए परिदत्त करता है । (य) उसको अपनी दुकान पर ले जाता है । (क) जिस पर उस जौहरी का, कोई ऐसा ऋृण नहीं है, जिसके लिए कि वह जौहरी उस घडी को प्रतिभूति के रुप में विधिपूर्वक रोक सके, खुले तौर पर उस दुकान में घुसता है, (य) के हाथ से अपनी घडी बलपूर्वक ले लेता है, और उसको ले जाता है । यहां (क) ने भले ही आपराधिक अतिचार और हमला किया हो, उसने चोरी नहीं की है, क्योंकि जो कुछ भी उसने किया बेइमानी से नहीं किया ।
ञ) यदि उस घडी की मरम्मत के संबंध में (य) को (क) से धन शोध्य है, और यदि (य) उस घडी को उस ऋृण की प्रतिभूति के रुप विधिपूर्वक रख सकता है और (क) उस घडी (य) के कब्जे में से इस आशय से ले लेता है कि (य) को उसके ऋ्नृण की प्रतिभूति रुप उस संपत्ति से वंचित कर दे तो उसने चोरी की है क्योंकि वह उसे बेईमानी से लेता है ।
ट) और यदि (क) अपनी घडी (य) के पास प्रणयम करने के बाद घडी के बदले लिए गए ऋृण को चुकाए बिना उसे (य) के कब्जे में से (य) की सम्मति के बिना ले लेता है, तो उसने चोरी की है, यद्यपि वह घडी उसकी अपनी ही संपत्ति है, क्योंकि वह उसको बेईमानी से लेता है ।
ठ) (क) एक वस्तु को उस समय तक रख लेने के आशय से जब तक कि उसके प्रत्यार्वतन के लिए पुरस्कार के रुप में उसे (य) से धन अभिप्राप्त न हो जाए, (य) की संपत्ति के बिना (य) के कब्जे में से लेता है । यहां (क) बेईमानी से लेता है, इसलिए (क) ने चोरी की ।
ड) (क), जो (य) का मित्र है, (य) की अनुपस्थिति में (य) के पुस्तकालाय में जाता है, और (य) की अभिव्यक्त सम्मति के बिना एक पुस्तक केवल पढने के लिए और वापस करने के आशय से ले जाता है । यहां यह अधिसम्भाव्य है कि (क) ने यह विचार किया हो कि पुस्तक उपयोग में लाने के लिए उसको (य) की विवक्षित सम्मति प्राप्त है, यदि (क) का यह विचार था, तो (क) ने चोरी नहीं की है ।
ढ) (य) की पत्नी से (क) खैरात मांगता है । वह (क) को धन, भोजन और कपडे देती है जिनको (क) जानता है कि वे उसके पति (य) के है । यहां, यह अधिसम्भाव्य है कि (क) का यह विचार हो कि (य) की पत्नी को भिक्षा देने का प्राधिकार है । यदि (क) का यह विचार था, तो (क) ने चारी नहीं की है ।
ण) (क), (य) की पत्नी का यार है । वह (क) को एक मूल्यवान संपत्ति देती है जिसके संबंध में (क) यह जानता है कि वह उसके पति (य) की है, और वह ऐसी संपत्ति है, जिसको देने का प्राधिकार उसे (य) से प्राप्त नहीं है । यदि (क) उस संपत्ति को बेईमानी से लेता है, तो वह चोरी करता है ।
त) (य) की संपत्ति को अपनी स्वयं की संपत्ति होने का सद्भावपूर्वक विश्वास करते हुए (ख) के कब्जे में से उस संपत्ति को (क) ले लेता है । यहां (क) बेईमानी से नहीं लेता, इसलिए वह चोरी नहीं करता ।
२) जो कोई चोरी करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा और इस धारा के अधीन किसी व्यक्ति के दूसरे या पश्चातवर्ती दोषसिद्धी के मामले में उसे ऐसे कठोर कारावास से जिसकी अवधि एक वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु पांच वर्ष तक हो सकेगी और जुर्माने से दंडित किया जाएगा :
परन्तु चोरी के उन मामलों में जहां चारी की गई संपत्ति का मूल्य पांच हजार रुपए से कम है और कोई व्यक्ति पहली बार के लिए दोषसिद्ध किया गया है, चोरी की गई संपत्ति के वापस करने पर या संपत्ति को प्रत्यावर्तित करने पर उसे सामुदायिक सेवा से दंडित किया जाएगा ।

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