भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा २९ :
ऐसे कार्यो का अपवर्जन (बहिष्करण) जो कारित अपहानि के बिना भी स्वत: (खुद) अपराध है :
धारा २५, २६ और २७ के अपवादों का विस्तार उन कार्यो पर नहीं है जो उस अपहानि के बिना भी स्वत: अपराध है, जो उस व्यक्ति को जो सम्मति देता है या जिसकी और से सम्मति दी जाती है, उन कार्यो से कारित हो, या कारित किए जाने का आशय हो, या कारित होने की सम्भाव्यता ज्ञात हो ।
दृष्टांत :
गर्भपात कराना (जब तक कि वह उस स्त्री का जीवन बचाने के प्रयोजन से सद्भावपूर्वक कारित न किया गया हो) किसी अपहानि के बिना भी, जो उससे स्त्री को कारित हो या कारित करने का आशय हो, स्वत: अपराध है । इसलिए वह ऐसी अपहानि के कारण अपराध नहीं है; और ऐसा गर्भपात कराने की उस स्त्री की या उसके संरक्षक की सम्मति उस कार्य को न्यायानुमत नहीं बनाती ।
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