भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा २७७ :
अपमिश्रित (मिलावट) औषधियों का विक्रय (बिक्री) :
धारा : २७७
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी ओषधि या भेषजीय निर्मिति को जिसके बारे में ज्ञात है कि वह अपमिश्रित है बेचने की प्रस्थापना करना या ओषधालय से देना ।
दण्ड : छह मास के लिए कारावास, या पांच हजार रुपए का जुर्माना, या दोनों।
संज्ञेय या असंज्ञेय : असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई यह जानते हुए कि किसी औषधि या भेषजीय (चिकित्सीय / आयुर्विज्ञान/ औषधिय) निर्मिति में इस प्रकार से अपमिश्रण (मिलावट) किया गया है कि उसकी प्रभावकारिता कम हो गई या उसकी क्रिया बदल गई है, या वह अपायकार बन गई है, उसे बेचेगा या बेचने की प्रस्थापना करेगा, या बेचने के लिए अभिदर्शित करेगा, या किसी औषधालय से औषधीय प्रयोजनों के लिए उसे अनपमिश्रित (मिलावट रहित) के तौर पर देगा या उसका अपमिश्रित (मिलावट) होना न जानने वाले व्यक्ती द्वारा औषधीय प्रयोजनों के लिए उसका उपयोग कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पांच हजार रुपये तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डनीय होगा ।