भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा २६० :
दण्डादेश के अधीन या विधिपूर्वक सुपुर्द किए गए व्यक्ती को पकडने के लिए आबद्ध (बंधा हुआ) लोक सेवक द्वारा पकडने का साशय लोप :
धारा : २६० (क)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : न्यायालय के दंडादेश के अधीन व्यक्ति को पकडने के लिए विधि द्वारा आबद्ध लोक सेवक द्वारा उसे पकडने का साशय लोप, यदि वह व्यक्ति मृत्यु के दंडादेश के अधीन है ।
दण्ड : जुर्माने सहित या रहित आजीवन कारावास, या चौदह वर्ष के लिए कारावास ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : सेशन न्यायालय ।
———
धारा : २६० (ख)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : यदि आजीवन कारावास या दस वर्ष या उससे अधिक के कारावास के दंडादेश के अधीन है ।
दण्ड : जुर्माने सहित या रहित सात वर्ष के लिए कारावास ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
———
धारा : २६० (ग)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : यदि दस वर्ष से कम के लिए कारावास के दंडादेश के अधीन है या अभिरक्षा में रखे जाने के लिए विधिपूर्वक सुपुर्द किया गया है ।
दण्ड : तीन वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
———
जो कोई ऐसा लोक सेवक होते हुए, जो किसी अपराध के लिए न्यायालय के दण्डादेश के अधीन या अभिरक्षा में रखे जाने के लिए विधिपूर्वक सुपुर्द किए गए किसी व्यक्ती को पकडने या परिरोध में रखने के लिए ऐसे लोक सेवक के नाते वैध रुप से आबद्ध (बंधा हुआ) है, ऐसे व्यक्ती को पकडने का साशय लोप (त्रुटी) करेगा, या ऐसे परिरोध में से साशय ऐसे व्यक्ती का निकल भागना सहन करेगा या ऐसे व्यक्ती को निकल भागने में या निकल भागने के लिए प्रयत्न करने में साशय मदद या सहाय्यता करेगा, वह निम्नलिखित रुप से दण्डित किया जाएगा, अर्थात् –
क) यदि परिरुद्ध व्यक्ती या जो व्यक्ती पकडा जाना चाहिए था, वह मृत्यु दण्डादेश के अधीन हो, तो वह जुर्माने सहित या जुर्माने रहित आजीवन कारावास से, या दोनों मे सें किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि चौदह वर्ष तक की हो सकेगी; अथवा
ख) यदि परिरुद्ध व्यक्ती या जो व्यक्ती पकडा जाना जाहिए था वह न्यायालय के दण्डादेश से, या ऐसे दण्डादेश से लघुकरण के आधार पर आजीवन कारावास या दस वर्ष तक की या उससे अधिक की अवधि के लिए कारावास से अध्यधीन हो, तो वह जुर्माने सहित या जुर्माने रहित, दोनो में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी ; अथवा
ग) यदि परिरुद्ध व्यक्ती या जो व्यक्ती पकडा जाना चाहिए था वह न्यायालय के दण्डादेश से दस वर्ष से कम की अवधि के लिए कारावास के अध्यधीन हो या यदि वह व्यक्ती अभिरक्षा में रखे जाने के लिए विधिपूर्वक सुपुर्द किया गया हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
Pingback: Ipc धारा २२२ : दण्डादेश के अधीन या विधिपूर्वक सुपुर्द किए