Bns 2023 धारा २३० : मृत्यू से दण्डनीय अपराध के लिए दोषसिद्ध कराने के आशय से मिथ्या साक्ष्य देना या गढना (रचना) :

भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा २३० :
मृत्यू से दण्डनीय अपराध के लिए दोषसिद्ध कराने के आशय से मिथ्या साक्ष्य देना या गढना (रचना) :
धारा : २३० (१)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी व्यक्ति को मृत्यु से दंडनीय अपराध के लिए दोषसिद्ध कराने के आशय से मिथ्या साक्ष्य देना या गढना ।
दण्ड : आजीवन कारावास या दस वर्ष के लिए कठिन कारावास और ५०००० रुपए जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : सेशन न्यायालय ।
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धारा : २३० (२)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : यदि निर्दोष व्यक्ति उसके द्वारा दोषसिद्ध किया जाता है और उसे फांसी दे दी जाती है ।
दण्ड : मृत्यू या यथा उपर्युक्त ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : सेशन न्यायालय ।
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१) जो कोई भारत में तत्समय प्रवृत्त विधि के द्वारा मृत्यु से दण्डनीय अपराध के लिए किसी व्यक्ती को दोषसिद्ध कराने के आशय से या सम्भाव्यत: उसद्वारा दोषसिद्ध कराएगा, यह जानते हुए मिथ्या साक्ष्य देगा या गढेगा (रचेगा), वह आजीवन कारावास से, या कठिन कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, और पचास हजार रुपए तक के जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
२) यदि किसी निर्दोष व्यक्ती को उपधारा (१) में निर्दिष्ट ऐसे मिथ्या साक्ष्य के परिणाम स्वरुप दोषसिद्ध किया जाए, और उसे निष्पादित किया जाए, तो उस व्यक्ती को, जो ऐसा मिथ्या साक्ष्य देगा, या तो मृत्युदण्ड या उपधारा (१) में वर्णित दण्ड दिया जाएगा ।

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