भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा २१० :
दस्ताऐवज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख पेश करने के लिए वैध रुप से आबद्ध (बंधा हुआ) व्यक्ति का लोक सेवक को पेश दस्ताऐवज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख करने का लोप (त्रुटी) :
धारा : २१० (क)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : दस्तावेज पेश करने या परिदत्त करने के लिए वैध रुप से आबद्ध व्यक्ति द्वारा लोक सेवक को ऐसी दस्तावेज पेश करने का साशय लोप ।
दण्ड : एक मास के लिए सादा कारावास, या पांच हजार रुपए का जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : दंड प्रक्रिया संहिता अध्याय २८ के उपबंधो के अधीन रहते हुए वह न्यायालय जिसमें अपराध किया गया है या यदि अपराध न्यायालय में नहीं किया गया है तो कोई मजिस्ट्रेट ।
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धारा : २१० (ख)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : यदि उस दस्तावेज का न्यायालय में पेश किया जाना या परिदत्त किया जाना अपेक्षित है ।
दण्ड : छह मास के लिए सादा कारावास, या दस हजार रुपए का जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : असंज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : दंड प्रक्रिया संहिता अध्याय २८ के उपबंधो के अधीन रहते हुए वह न्यायालय जिसमें अपराध किया गया है या यदि अपराध न्यायालय में नहीं किया गया है तो कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी लोक सेवक को, ऐसे लोक सेवक के नाते किसी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख को पेश करने या परिदत्त करेन के लिए वैध रुप से आबद्ध होते हुए, उसको इस प्रकार पेश करने या परिदत्त करने का साशय लोप (त्रुटी) करेगा,-
क) वह सादा कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पाच हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डनीय होगा;
ख) यदि वह दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख किसी न्यायालय में पेश या परिदत्त की जानी हो, तो वह सादा कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दस हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
दृष्टांत :
(क) जो एक एक जिला न्यायालय के समक्ष दस्तावेज पेश करने के लिए वैध रुप से आबद्ध है, उसको पेश करने का साशय लोप करता है । (क) ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है ।
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