भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा १९२ :
बल्वा (दंगा / उपद्रव) कराने के आशय स्वैरता (अनियंत्रित) प्रकोपन (उत्तेजना) दोना – यदि बल्वा किया जाए – यदि बल्वा न किया जाए :
धारा : १९२
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : बल्वा कराने के आशय से स्वैरिता से प्रकोपन देना, यदि बल्वा किया जाता है ।
दण्ड : एक वर्ष के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : कोई मजिस्ट्रेट ।
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अपराध : यदि बल्वा नहीं किया जाता है ।
दण्ड : छह मास के लिए कारावास, या जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई अवैध (विधिविरुद्ध) बात या कार्य करने द्वारा किसी व्यक्ति को परिद्वेष से या स्वैरिता (अनियंत्रित) से प्रकोपित (उत्तेजित) इस आशय से या यह संभाव्य जानते हुए करेगा कि ऐसे प्रकोपन के परिणामस्वरुप बल्वे का अपराध किया जाएगा; यदि ऐसे प्रकोपन, के परिणामस्वरुप बल्वे का अपराध किया जाए तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, और यदि बल्वे का अपराध न किया जाए, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
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