भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा १२७ :
सदोष परिरोध ( कारावास / कैद ) :
धारा : १२७ (२)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी व्यक्ति का सदोष अवरोध करना ।
दण्ड : एक वर्ष के लिए कारावास, या पांच हजार रुपए जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : वह व्यक्ति जो अवरुद्ध या परिरुद्ध किया गया है ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
———
धारा : १२७ (३)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : तीन या अधिक दिनों के लिए सदोष परिरोध ।
दण्ड : तीन वर्ष के लिए कारावास, या दस हजार रुपए जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : परिरुद्ध व्यक्ति ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : कोई मजिस्ट्रेट ।
———
धारा : १२७ (४)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : दस या अधिक दिनों के लिए सदोष परिरोध ।
दण्ड : पांच वर्ष के लिए कारावास, और दस हजार रुपए जुर्माना।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : परिरुद्ध व्यक्ति ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
———
धारा : १२७ (५)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी व्यक्ति को यह जानते हुए सदोष परिरोध में रखना कि उसको छोडने के लिए रिट निकल चुका है ।
दण्ड : किसी अन्य धारा के अधीन कारावास से अतिरिक्त दो वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
———
धारा : १२७ (६)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : गुप्त स्थान में सदोष परिरोध ।
दण्ड : किसी अन्य धारा के अधीन कारावास से अतिरिक्त तीन वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : परिरुद्ध व्यक्ति ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
———
धारा : १२७ (७)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : सम्पत्ति उद्यापित करने के लिए या अवैध कार्य करने के लिए मजबूर करने आदि के प्रयोजन के लिए सदोष परिरोध ।
दण्ड : तीन वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : कोई मजिस्ट्रेट ।
———
धारा : १२७ (८)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : संस्वीकृति या जानकारी उद्यापित करने या सम्पत्ति आदि को प्रत्यावर्तित करने के लिए विवश करने आदि के प्रयोजन के लिए सदोष परिरोध ।
दण्ड : तीन वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : कोई मजिस्ट्रेट ।
———
१) जो कोई किसी व्यक्ती का इस प्रकार सदोष अवरोध करता है, कि उस व्यक्ती को निश्चित परिसीमा से परे जाने से निवारित करे, वह उस व्यक्ती का सदोष परिरोध करता है, यह कहा जाता है ।
दृष्टांत :
(क) (य) को दीवार से घिरे हुए स्थान में प्रवेश कराकर (क) उसमें ताला लगा देता है । इस प्रकार (य) दीवार की परिसीमा से परे किसी भी दिशा में नहीं जा सकता । (क) ने (य) का सदोष परिरोध किया है ।
ख) (क) एक भवन के बाहर जाने के द्वारों पर बन्दूकधारी मनुष्यों को बैठा देता है और (य) से कह देता है कि यदि (य) भवन के बाहर जाने का प्रयत्न करेगा, तो वे (य) को गोली मार देंगे । (क) ने (य) का सदोष परिरोध किया है ।
२) जो कोइ किसी व्यक्ती का सदोष परिराध करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डनीय होगा ।
३) जो कोई किसी व्यक्ती का सदोष परिरोध तीन या अधिक दिनों के लिए करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दस हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
४) जो कोई किसी व्यक्ती का सदोष परिरोध दस या अधिक दिनों के लिए करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से जो दस हजार रुपए से कमी नही होगी, दण्डित किया जाएगा ।
५) जो कोई यह जानते हुए किसी व्यक्ती को सदोष परिरोध में रखेगा कि उस व्यक्ती को छोडने के लिए रिट (आदेश, लेख ,हुक्मनामा) सम्यक् रुप से निकल चुका है वह किसी अवधि के उस कारावास के अतिरिक्त , जिससे कि वह इस अध्याय के किसी अन्य धारा के अधीन दण्डनीय हो, दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने का भी दायी होगा ।
६) जो कोई किसी व्यक्ती को सदोष परिरोध इस प्रकार करेगा जिससे यह आशय प्रतीत होता हो कि ऐसे परिरुद्ध व्यक्ती से हितबद्ध किसी व्यक्ती को या किसी लोक सेवक को ऐसे व्यक्ती के परिरोध की जानकारी न होने पाए या एतस्मिन पूर्व (इसमें इसके पूर्व) वर्णित किसी ऐसे व्यक्ती या लोक सेवक को, ऐसे परिरोध के स्थान की जानकारी न होने पाए या उसका पता वह न चला पाए, वह उस दण्ड के अतिरिक्त जिसके लिए वह ऐसे सदोष परिरोध के लिए दण्डनीय हो, दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने का भी दायी होगा ।
७) जो कोई किसी व्यक्ती का सदोष परिरोध इस प्रयोजन से करेगा, कि उस परिरुद्ध व्यक्ती से, या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ती से, कोई संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति उद्यापित की जाए, अथवा उस परिरुद्ध व्यक्ती को या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ती को कोई ऐसी अवैध बात करने के लिए, या कोई ऐसी जानकारी देने के लिए जिससे अपराध का किया जाना सूकर हो जाए, मजबूर किया जाए, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
८) जो कोई किसी व्यक्ती का सदोष परिरोध इस प्रयोजन से करेगा, कि उस परिरुद्ध व्यक्ती से, कोई संस्वीकृति या कोई जानकारी, जिससे किसी अपराध या अवचार का पता चल सके, उद्यापित की जाए, या वह परिरुद्ध व्यक्ती या उससे हितबद्ध कोई व्यक्ती मजबूर किया जाए कि वह किसी संपत्ति या किसी मूल्यवान प्रतिभूति को प्रत्यावर्तित करे या करवाए या किसी दावे या मांग की तुष्टि करे या कोई ऐसी जानकारी दे जिससे किसी संपत्ति या किसी मूल्ववान प्रतिभूति का प्रत्यावर्तन किया कराया जा सके, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।