भारतीय न्याय संहिता २०२३
सदोष अवरोध (नियंत्रण / रोक) और सदोष परिरोध (कारावास/कैद) के विषय में :
धारा १२६ :
सदोष अवरोध ( नियंत्रण / रोक ) :
धारा : १२६ (२)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : किसी व्यक्ति का सदोष अवरोध करना ।
दण्ड : एक मास के लिए सादा कारावास, या पांच हजार रुपए जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : वह व्यक्ति जो अवरुद्ध या परिरुद्ध किया गया है ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : कोई मजिस्ट्रेट ।
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१) जो कोई किसी व्यक्ती को स्वेच्छया ऐसे बाधा डालता है कि उस व्यक्ती को उस दिशा में, जिसमें उस व्यक्ती को जाने का अधिकार है, जाने से निर्वारित करने, वह उस व्यक्ती का सदोष अवरोध करता है, यह कहा जाता है ।
अपवाद :
भूमि या जल के किसी प्राईवट (निजी) मार्ग में बाधा डालना जिसके संबंध में किसी व्यक्ती को सद्भावपूर्वक विश्वास है कि वहां बाधा डालने का उसे विधिपूर्ण अधिकार है, इस धारा के अन्तर्गत अपराध नहीं है ।
दृष्टांत :
(क) एक मार्ग में, जिससे होकर जाने का (य) का अधिकार है, सद्भावपूर्वक यह विश्वास न रखते हुए कि उसको मार्ग रोकने का अधिकार प्राप्त है, बाधा डालता है । (य) जाने से तद्द्वारा रोक दिया जाता है । (क), (य) का सदोष अवरोध करता है ।
२) जो कोई किसी व्यक्ती का सदोष अवरोध करेगा, वह सादा कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।