भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा १२५ :
कोई कार्य जिससे दुसरों का जीवन या वैयक्तिक क्षेम (सुरक्षा) संकटापन्न (संकटमय) हो :
धारा : १२५
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : कोई कार्य करना जिससे मानव जीवन या वैयक्तिक क्षेम संकटापन्न हो ।
दण्ड : तीन मास के लिए कारावास, या दो हजार पांच सो रुपए जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : कोई मजिस्ट्रेट ।
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धारा : १२५ (क)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : जहां उपहति कारित की गई है ।
दण्ड : छह मास के लिए कारावास, या पांच हजार रुपए का जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : वह व्यक्ति जिसे उपहति कारित की गई है।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : कोई मजिस्ट्रेट ।
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धारा : १२५ (ख)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : जहां गंभीर उपहति कारित की गई है ।
दण्ड : तीन वर्ष के लिए कारावास, या दस हजार रुपए का जुर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : वह व्यक्ति जिसे उपहति कारित की गई है।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : कोई मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई उतावलेपन या उपेक्षा (लापरवाही) से कोई कार्य करेगा कि उस कार्य से मानव जीवन या दुसरों का वैयक्तिक क्षेम (सुरक्षा) संकटमय हो, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दो हजार पाचसो रुपए (२५००) तक का हो सेकगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा, परंतु-
क) जहां उपहति कारित की जाती है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जो छह मास तक का हो सकेगा या जुर्माने से जो पांच हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से दंडनीय होगा;
ख) जहा घोर उपहित कारित की जाती है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जो तीस साल तक का हो सकेगा या जुर्माने से जो दस हजार रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से दंडनीय होगा ।