भारतीय न्याय संहिता २०२३
धारा ११२ :
छोटे संगठित अपराध :
धारा : ११२
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : छोटे संगठित अपराध ।
दण्ड : कारावास, जो १ वर्ष से कम नहीं होगा, किन्तु जो ७ वर्ष तक का हो सकेगा, और जुर्माना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय : संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय : अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है : प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
———
१) जो कोई समूह या टोली का सदस्य होते हुए, या तो एकल रुप से या संयुक्त रुप से, चोरी, झपटमारी, छल, टिकटों के अप्राधिकृत रुप से विक्रय, अप्राधिकृत शर्त लगाने या जुआ खेलने, लोक परीक्षा प्रश्नपत्रों का विक्रय या कोई अन्य समरुप आपराधिक कार्य कारित करता है, तो वह छोटा संगठित अपराध कारित करता है ।
स्पष्टीकरण :
इस उपधारा के प्रयोजन के लिए, चोरी में चालाकी से चोरी, यान, निवास-गृह या कारबार परिसर, कार्गो से चोरी, पाकेट मारना, कार्ड स्किमिंग, शॉपलिफ्टिंग के माध्यम से चोरी और स्वचालित टेलर मशीन की चोरी शामील है ।
१) कोई अपराध, जो नागरिकों के बीच यान चोरी या यान से चोरी या घरेलू या कारबार (व्यावसायिक) चोरी, छल-कपट से चोरी, स्थोरा (मालवाहू) चोरी, चोरी (चोरी, वैयक्तिक संपत्ति की चोरी का प्रयास), संगठित जेब कतरना, चेन छीनना, दुकान तोडकर चोरी या कार्ड स्कीमिंग और स्वचालित टेलर मशीन की चोरी या लोक परिवहन प्रणाली से विधिविरुद्ध रीति से धन का उपापन या टिकटों का अवैध विक्रय या लोक परीक्षा के प्रश्नपत्रों का विक्रय, से संबंधित असुरक्षा की साधारण भावना कारित करता है और संगठित अपराध समुहों या टोली द्वारा कारित संगठित अपराध का कोई अन्य सामान्य प्ररुप छोटे संगठित अपराधों का गठन करेगा ।
२) जो कोई छोटा संगठित अपराध कारित करता है वह ऐसी अवधि के कारावास से दंडनीय होगा, जो एक वर्ष से कम नहीं होगा, किंतु सात वर्ष तक का हो सकेगा और जुर्माने के लिए भी दायी होगा ।