भारत का संविधान
अनुच्छेद १३ :
मूल अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाली विधियां ।
१) इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले भारत के राज्यक्षेत्र में प्रवृत्त सभी विधियां उस मात्रा तक शून्य होंगी जिस तक वे इस भाग के उपबंधो से असंगत हैं ।
२) राज्य ऐसी कोई विधि नहीं बनाएगा जो इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों को छीनती है या न्यून करती है और इस खंड के उल्लंघन में बनाई गई प्रत्येक विधि उल्लंघन की मात्रा तक शून्य होगी ।
३) इस अनुच्छेद में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, –
क) विधि के अंतर्गत भारत के राज्यक्षेत्र में विधि का बल रखने वाला कोई अध्यादेश, आदेश, उपविधि, नियम, विनियम, अधिसूचना, रूढी या प्रथा है ।
ख) प्रवृत्त विधि के अंतर्गत भारत के राज्य क्षेत्र में किसी विधान- मंडल या अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा इस संविधान के प्रारंभ से पहले पारित या बनाई गई विधि है जो पहले ही निरसित नहीं कर दी गई, चाहे ऐसी कोई विधि या उसका कोई भाग या उस समय पूर्णतया या विशिष्ट क्षेत्रों में प्रवर्तन में नही हैं ।
१. (४) (इस अनुच्छेद की कोई बात अनुच्छेद ३६८ के अधीन किए गए इस संविधान के किसी संशोधन को लागू नहीं होगी )
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१. संविधान ( चौंबीसवां संशोधन ) अधिनियम, १९७१ की धारा २ द्वारा अंत:स्थापित ।