भारत का संविधान
अनुच्छेद ३२९ :
निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन ।
१.(इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी २.(***)) –
क) अनुच्छेद ३२७ या अनुच्छेद ३२८ के अधीन बनाई गई या बनाई जाने के लिए तात्पर्यित किसी ऐसी विधि की विधिमान्यता, जो निर्वाचन- क्षेत्रों के परिसीमन या ऐसे निर्वाचन- क्षेत्रों को स्थानों के आबंटन से संबंधित है, किसी न्यायालय में प्रश्नगत नहीं की जाएगी ;
ख) संसद् के प्रत्येक सदन या किसी राज्य के विधान-मंडल के सदन या प्रत्येक सदन के लिए कोई निर्वाचन ऐसी निर्वाचन अर्जी पर ही प्रश्नगत किया जाएगा, जो ऐसे प्राधिकारी को और ऐसी रीति से प्रस्तुत की गई है जिसका समुचित विधान-मंडल द्वारा बनाई गई विधि द्वारा या उसके अधीन उपबंध किया जाए, अन्यथा नहीं ।
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१.संविधान (उनतालीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७५ की धारा ३ द्वारा कुछ शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२.संविधान (चवालीसवां संशोधन) अधिनियम, १९७८ की धारा ३५ द्वारा (२०-६-१९७९ से) परन्तु अनुच्छेद ३२९ क के उपबंधों के अधीन रहते हुए शब्दों, अंकों और अक्षर का लोप किया गया ।