भारत का संविधान
अनुच्छेद २९७ :
१.(राज्यक्षेत्रीय सागर-खंड या महाद्वीपीय मग्नतट भूमि में स्थित मूल्यवान चीजों और अनन्य आर्थिक क्षेत्र के संपत्ति स्त्रोतों का संघ में निहित होना ।
१)भारत के राज्यक्षेत्रीय सागर-खंड या महाद्वीपीय मग्नतट भूमि या अनन्य आर्थिक क्षेत्र में समुद्र के नीचे की सभी भूमि, खनिज और अन्य मूल्यवान चीजें संघ में निहित होंगी और अन्य मूल्यवान चीजें संघ में निहित होंगी और संघ के प्रयोजनों के लिए धारण की जाएंगी ।
२) भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र के अन्य सभी संपत्ति स्त्रोत भी संघ में निहित होंगे और संघ के प्रयोजनों के लिए धारण किए जाएंगे ।
३) भारत के राज्यक्षेत्रीय सागर-खंड, महाद्वीपीय मग्नतट भूमि, अनन्य आर्थिक क्षेत्र और अन्य सामुद्रिक क्षेत्रों की सीमाएं वे होंगी जो संसद् द्वारा बनाई गई विधि द्वारा या उसके अधीन समय-समय पर विनिर्दिष्ट की जाएं । )
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१.संविधान (चालीसवां संशोधन) अधिनियम १९७६ की धारा २ द्वारा . (२७-५-१९७६ से ) अनुच्छेद २९७ के स्थान पर प्रतिस्थापित ।