भारत का संविधान
अनुच्छेद २४३ झ :
वित्तीय स्थिति के पुनर्विलोकन के लिए वित्त आयोग का गठन ।
१) राज्य का राज्यपाल, संविधान (तिहत्तरवां संशोधन) अधिनियम, १९९२ के प्रारंभ से एक वर्ष के भीतर यथाशीघ्र, और तत्पश्चात्, प्रत्येक पांचवें वर्ष की समाप्ति पर, वित्त आयोग का गठन करेगा जो पंचायतों की वित्तीय स्थिति का पुनर्विलोकन करेगा, और जो-
क) १) राज्य द्वारा उद्गृहीत करों, शुल्कों, पथकरों और फीसों के ऐसे शुध्द आगमों के राज्य और पंचायतों के बीच, जो इस भाग के अधीन उनमें विभाजित किए जाएं, वितरण की और सभी स्तरों पर पंचायतों के बीच ऐसे आगमों के तत्संबंधी भाग के आबंटन को;
२) ऐसे करों, शुल्कों, पथकरों और फीसों के अवधारण को, जो पंचायतों को समनुदिष्ट की जा सकेंगी या उनके द्वारा विनियोजित की जा सकेंगी ;
३)राज्य की संचित निधि में से पंचायतों के लिए सहायता अनुदान को,
शासित करने वाले सिध्दांतों के बारे में;
ख) पंचायतों की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए आवश्यक अध्युपायों के बारे में;
ग)पंचायतों के सुदृढ वित्त के हित में राज्यपाल द्वारा वित्त आयोग को निर्दिष्ट किए गए किसी अन्य विषय के बारे में,
राज्यपाल को सिफारिश करेगा ।
२) राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, आयोग की संरचना का, उन अर्हताओं का, जो आयोग के सदस्यों के रूप में नियुक्ति के लिए अपेक्षित होंगी, और उस रीति का, जिससे उनका चयन किया जाएगा, उपबंध कर सकेगा ।
३)आयोग अपनी प्रक्रिया अवधारित करेगा और उसे अपने कृत्योंं के पालन में ऐसी शक्तियां होंगी जो राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा , उसे प्रदान करे ।
४)राज्यपाल इस अनुच्छेद के अधीन आयोग द्वारा की गई प्रत्येक सिफारिश को, उस पर की गई कार्रवाई के स्पष्टीकारक ज्ञापन सहित, राज्य के विधान-मंडल के समक्ष रखवाएगा ।