भारत का संविधान
अनुच्छेद १९३ :
अनुच्छेद १८८ के अधीन शपथ लेने या प्रतिज्ञान करने से पहले या अर्हित न होते हुए या निरर्हित किए जाने पर बैठने और मत देने के लिए शास्ति ।
यदि किसी राज्य की विधान सभा या विधान परिषद् में कोई व्यक्ति अनुच्छेद १८८ की अपेक्षाओं का अनुपालन करने से पहले, या यह जानते हुए कि मैं उसकी सदस्यता के लिए अर्हित नहीं हूं या निरर्हित कर दिया गया हूं या संसद् या राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के उपबंधों द्वारा ऐसा करने से प्रतिषिध्द कर दिया गया हूं, सदस्य के रूप में बैठता है या मत देता है तो वह प्रत्येक दिन के लिए जब वह इस प्रकार बैठता है या मत देता है, पांच सौ रूपए की शास्ति का भागी होगा जो राज्य को देय ऋण के रूप में वसूल की जाएगी ।