भारत का संविधान
अनुच्छेद १७२ :
राज्यों के विधान -मंडलों की अवधि ।
१) प्रत्येक राज्य की प्रत्येक विधान सभा, यदि पहले ही विघटित नहीं कर दी जाती है तो, अपने प्रथम अधिवेशन के लिए नियत तारीख से १.(पांच वर्ष) तक बनी रहेगी, इससे अधिक नहीं और १.(पांच वर्ष ) की उक्त अवधि की समाप्ति का परिणाम विधान सभा का विघटन होगा :
परंतु उक्त अवधि को, जब आपात् की उद्घोषणा प्रवर्तन में है, तब संसद् विधि द्वारा, ऐसी अवधि के लिए बढा सकेगी, जो एक बार में एक वर्ष से अधिक नहीं होगी और उद्घोषणा के प्रवर्तन में न रह जाने के पश्चात् किसी भी दशा में उसका विस्तार छह मास की अवधि से अधिक नहीं होगा ।
२)राज्य की विधान परिषद् का विघटन नहीं होगा, किंतु उसके सदस्यों में से यथासंभव निकटतम एक- तिहाई सदस्य संसद् द्वारा विधि द्वारा इस निमित्त बनाए गए उपबंधों के अनुसार, प्रत्येक द्वितीय वर्ष की समाप्ति पर यथाशक्य शीघ्र निवृत्त हो जाएंगे ।
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१. संविधान ( चवालीसवां संशोधन ) अधिनियम, १९७८ की धारा २४ द्वारा (६ -९-१९७९ से ) छह वर्ष के स्थान पर प्रतिस्थापित । संविधान (बयालीसवां संशोधन ) अधिनियम, १९७६ की धारा ३० द्वारा ( ३-१-१९७७ से ) मूल शब्दों पांच वर्ष के स्थान पर छह वर्ष प्रतिस्थापित किए गए थे ।