Constitution अनुच्छेद ६६ : उपराष्ट्रपति का निर्वाचन ।

भारत का संविधान
अनुच्छेद ६६ :
उपराष्ट्रपति का निर्वाचन ।
१) उपराष्ट्रपति का निर्वाचन १.(संसद् के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचकगण के सदस्यों ) द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पध्दति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होगा और ऐसे निर्वाचन में मतदान गुप्त होगा ।
२)उपराष्ट्रपति संसद् के किसी सदन का या किसी राज्य के विधान- मंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होगा और यदि संसद् के किसी सदन का या किसी राज्य के विधान- मंडल के किसी सदन का कोई सदस्य उपराष्ट्रपति निर्वाचित हो जाता है तो यह समझा जाएगा कि उसने उस सदन में अपना स्थान उपराष्ट्रपति के रूप में अपने पदग्रहण की तारीख से रिक्त कर दिया है ।
३)कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र तभी होगा जब वह-
क)भारत का नागरिक है,
ख) पैंतीस वर्ष की आयु पूरी कर चुका है, और
ग) राज्य सभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिए अर्हित है ।
४)कोई व्यक्ति, जो भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन अथवा उक्त सरकारों में से किसी के नियंत्रण में किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र नहीं होगा।
स्पष्टीकरण :
इस अनुच्छेद के प्रयोजनों के लिए, कोई व्यक्ति केवल इस कारण कोई लाभ का पद धारण करने वाला नहीं समझा जाएगा कि वह संघ का राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या किसी राज्य का राज्यपाल २.(***) है अथवा संघ का या किसी राज्य का मंत्री है ।
————
१.संविधान (ग्यारहवां संशोधन) अधिनियम, १९६१ की धारा २ द्वारा संयुक्त अधिवेशन में समवेत संसद् के दोनों सदनों के सदस्यों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२.संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, १९५६ की धारा २९ और अनुसूची द्वारा या राजप्रमुख या उप-राजप्रमुख शब्दों का लोप किया गया ।

Leave a Reply